काल ( २२६ नादिन, (५०) १मधुमक्षिका | २ गौरैया पक्षी | ३ चातक पक्षी । –अन्तकः, (पु०) समय, जो मृत्यु का अधिष्ठात्र देवता और समस्त पदार्थों का नाशक माना जाता है।--अन्तः, (न०) १ बीच का समय । २ समय की अवधि | ३ अन्य समय या अन्य अवसर । - अभ्रः, (पु०) काला, पनीला बादल [-अवधिः, ( पु० ) निर्दिष्ट समय | -अशुद्धिः, ( स्त्री० ) स्थापे या शोक मनाने की अवधि जन्म अथवा मरण अशौच या सूतक । -आयसं ( न० ) लोहा। उप्त, (बि०) ठीक मौसम में बोया हुआ। -कञ्जम् (न० ) नील- कमल |--कटङ्कटः, (पु०) ७ शिवजी का नाम । -कण्ठः ( पु० ) : मोर। मयूर | २ गौरैया पक्षी ३ शिवजी की उपाधि । करणम्. ( न० ) समय नियत करना । –कर्णिका, कर्णी, ( स्त्री० ) बदकिस्मती । विपत्ति । दुर्भाग्य ।--- कर्मन, ( न० ) मृत्यु । मौत ।- कीलः, ( पु० ) कोलाहल 1 -- कुस्ठः, ( पु० ) यमराज । धर्मराज 1-कूटः, ( पु० ) - कूटम्, (न० ) हलाहल विष यह विष जो समुद्र मन्थन के समय निकला था जिसे शिवजी ने अपने कण्ठ में रख लिया था। -कृत्. ( पु० ) १ सूर्यं । २ मयूर | मोर ३ परमात्मा 1- कसः, ( पु० ) समय का बीत जाना। -क्रिया, (स्त्री० ) १ समय का नियत करना | २ मृत्यु | -शेषः, ( पु० ) विलम्ब | देरी। समय का नाश । २ समय बिताना । --खण्डम् ( न० ) यकृत लीवर । -गङ्गा, (स्त्री०) यमुनानदी । -प्रन्धिः, ( पु० ) वर्ष । चक्रं, (न० ) १ समय का पहिया | २ युग २ (०) भाग्यचक्र | जीवन के उतार चढ़ाव। -चिन्हं, (न० ) मृत्यु निकट आने के लक्षण । --चोदित, (वि० ) वह जिसके सिर पर काल या मृत्युदेव खेल रहे हों। --ज्ञ, ( वि० ) उचित समय या उचित अवसर जानने वाला । -शः, (पु० ) १ ज्योतिषी । २ मुर्गा । - त्रयम्, ( न० ) भूत, वर्तमान, भविष्यद् । -दराडः, (पु० ) मृत्यु | मौत। -धर्मः, - धर्मन्, ( पु० ) १ ऐसे आचरण जो किसी ) भी समय के लिये उपयुक्त हों। २ मृत्युकाल | मृत्यु – धारणा, ( स्त्री० ) काल की वृद्धि | -निरूपणम् ( न० ) समय जानने की विद्या | कालनिरूपण शास्त्र | - नेमिः, ( स्त्री० ) १ कालरूपी पहिये के आरे ! २ रावण के चाचा का नाम, जिसे रावण ने हनुमान को मार डालने का काम सौंपा था, किन्तु पीछे वह स्वयं हनुमानजी द्वारा मार डाला गया था। ३ हिरण्यकशिपु का पुत्र । ४ एक अन्य राक्षस, जिसके १०० पुत्र थे और जिसे विष्णु ने मारा था। -पाशः, (पु०) यम का पाश या फाँसी । - पाशिकः, (पु० ) जल्लाद । वह आदमी जो मृत्युदण्ड प्राप्त लोगों को फाँसी लगाता हो। -पृष्ठ, (न०) १ हिरनों की जाति विशेष | २ कपक्षी | पृष्ठ कम्. ( न० ) १ कर्ण के धनुष का नाम । २ धनुष | - प्रभातं, ( न० ) शरद ऋतु । -भक्षः, (पु० ) शिवजी । -मुखः, ( पु० ) लंगूरों की एक जाति ।- मेषी, ( स्त्री० ) मंजिष्ठा नाम के पौधा | - यवनः, ( पु० ) यवन जातीय राजा, जिसने श्री कृष्ण पर मथुरा में, जरासन्ध के कहने से चढ़ाई की थी और जो श्रीकृष्ण की युक्ति से राजा मुचुकुन्द द्वारा भस्म किया गया था। योगः, ( पु० ) भाग्य | क़िस्मत | - योगिन, ( पु० ) शिवजी की उपाधि । -रात्रिः, - रात्री (स्त्री०) १ अंधेरीरात । प्रलयकाल की रात । कल्पान्त- रात । कार्तिकी अमा की रात । - जोहं, (न० ) ईसपातलोहा । – विप्रकर्षः, ( पु० ) समय की वृद्धि /-वृद्धिः, (स्त्री०) व्याज या सूद जो नियत रूप से किसी निर्दिष्ट समय पर अदा किया जाय। -चेला, (स्त्री०) शनिग्रह का समय दिन में आधे पहर यह समय नित्य घाता है। इस समय में शुभ कार्य करना वर्जित है। -सद्गश, (वि०) १ समय से अवसर साधकर -सर्पः, (पु०) काला और महाविषैला साँप । -सारः (५०) काले रंग का मृग। सूत्रं, – सूत्रकं, (न० ) १ समय या मृत्यु का डोरा २ नरक विशेष | -स्कन्धः, (पु० ) तमालवृत --स्वरूप, (वि० ) मृत्यु की तरह
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