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पृष्ठम्:मेदिनीकोशः.djvu/३०

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मेदिनी चार परिमादिपिके च कालिका चण्डिकामेड़े को क्रमदेवें] मुख धूपरीगण मेघवे ।। । पोशाखामीमांसकाळीशिवा मे काफ कीपको व्या लिमिजात ना मिथुरे पुजन्यम् । पटोले खासम्झे येठे पुकव्य पुद्धि का लिए नीचे शिको मुनियोः ॥७॥ [[[कृपाः कपिना परेता पनि थिए । पुसिको भागमे खाद्भेदे चुक: कोकियाचुरे कमे ॥१४ 10 कृपको उदयाने चिमायापिका गोप लियों पुि 1020 का चियामा अतिकायाय कुसे। कामावधि पनि प]ि [फालेखाकर्षकेल विधेययम्। कायोः ॥५॥