महामृत्युंजय घनपाठ
संहिता
[सम्पाद्यताम्]- त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
घन पाठ
[सम्पाद्यताम्]१) त्र्यम्बकं यजामहे यजामहे त्र्यम्बकं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिँ सुगन्धिं यजामहे त्र्यम्बकं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम्
त्र्यम्बकमिति त्रि - अम्बकम्
२) यजामहे सुगन्धिँ सुगन्धिं यजामहे यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं पुष्टिवर्धनँ सुगन्धिं यजामहे यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
३) सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं पुष्टिवर्धनँ सुगन्धिँ सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
सुगन्धिमिति सु - गन्धिम्
पुष्टिवर्धनमिति पुष्टि - वर्धनम् ।
४) उर्वारुकमिवेवोर्वारुकमुर्वारुकमिव बन्धनाद्बन्धनादिवोर्वारुकमुर्वारुकमिव बन्धनात्
५) इव बन्धनाद्बन्धनादिवेव बन्धनान्मृत्योर्मृत्योर्बन्धनादिवेव बन्धनान्मृत्योः
६) बन्धनान्मृत्योर्मृत्योर्बन्धनाद्बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मुक्षीय मृत्योर्बन्धनाद्बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय
७) मृत्योर्मुक्षीय मुक्षीय मृत्योर्मृत्योर्मुक्षीय मा मा मुक्षीय मृत्योर्मृत्योर्मुक्षीय मा
८) मुक्षीय मा मा मुक्षीय मुक्षीय मामृतादमृतान्मा मुक्षीय मुक्षीय मामृतात्
९) मामृतादमृतान्मा मामृतात्
अमृतादित्यमृतात् ॥