हंस चतुर्वेदीकोप । ४०४ इसमाला, ( स्त्री. ) हंसों की कतार । हंसरथ, (पुं. ) ब्रह्मा । हँसारूढ, ( पुं. ) ब्रह्मा । ( स्त्री. ) प्राणी | हंसी, (स्त्री. ) मादा हस । वाइस अक्षरों के पाद वाला छन्द विशेष : हे हो, (अन्य ) सम्बोधन । प्रश्न । . हजे, } अव्य. ) नाटक में बेटि का सम्बोधन । हुआ, हट्, (फि. ) चमकना । हट्ट, (पुं. ) बाजार | मण्डी | गञ्ज । हयू, (क्रि.) जाना । हय, ( पुं. ) घोड़ा | हरि हयग्रीव, ( पुं. ) विष्णु का अवतार विशेष | "एक दैत्य । हर, ( पुं. ) रुद्र | अग्नि | गधा | वॉटने वाला। "हरण | विभाजन | हरण, (न.) दूसरे स्थान पर ले जाना । बँटवारा । यौतुकादि में देने योग्य धन | हरगौरी, (सी.) शिव पार्वती । हरतेजस्, (न. ) महादेव का तेज | पारा । हट्टचौरक ( पुं. ) खुले मैदान चोरी करने हरशेखरा, ( सी. ) गा ।. चाला । हठ, (पुं.) दुराग्रह । हठयोग; (पुं. ) योग का भेद | हड्डु, ( न. ) हडी । अस्थि । एक जाति । हण्डा, ( स्त्री. ) मिट्टी का बड़ा पात्र । नाटक में नीच का सम्बोधन | हरि, ( पुं. ) विष्णु | सिंह | सर्प वानर | भेक चन्द्र सूर्य्य वायु | घोडा | यमराज | महादेव | ब्रह्मा ब्रह्म । किरण नौ वपी • में से एक । मोर | कोटल | हंस | तोता । भर्तृहरि नामक वाक्यप्रदीप नामक अन्य का बनाने वाला एक परिणत इन्द्र | • पीला | हरा रङ्ग ' .हरिकेश, ( पुं. ) एक या हरिचन्दन, (ग.) चन्दन विशेष | और विष्णु को प्रिय हरे रङ्ग का चन्दन 56 यह खास मलयाचल में होता और बहुत ही . सुगन्धित होता है "। केसर | हरिण, ( पुं. ) हिरन | शिव विष्णु | हंस | सफेद रश | हत, (त्रि. ) भारी गया । श्राशा से मरा हुआ | नष्ट | बिगड़ा | • इतक, (त्रि.) गया गुजरा। हताश, (त्रि. ) श्राशारहित । दयारहित । चुगलखोर । इति, (स्त्री.) मारना । गुणना | हत्या, ( श्री. ) मारना । वध | हट्, (क्रि. ) मल त्यागना | इन्, ( कि. ) मार डालना । जाना । हनुमत् । (पुं.) ठोडी वाला | अजनीसुत | } हनूमत् महावीर हनुमान् । } हरिणहृदय, (त्रि.) भीरु | डरपोक | हरिणाक्षी, ( श्री. ) हिरन के समान नेत्रों वाली स्त्री । गन्धवाला द्रव्य | हरिया ( पुं. ) चन्द्रमा । जिसकी गोद में हरिंगा हो । मृगला छन । हन्त, (श्रव्य ) हर्ष | दया | वाद पड़ा | किसी वाक्य का प्रारम्भ | खेद | हन्तकार, ( पुं. ) अतिथि को देने योग्य अन । हरित, (पं . ) सूर्य का घोड़ा | मूंग | शेर । सूर्य | विष्णु । श्राद्ध के दिन पाँच प्रकार का निकाला हुआ श्रन | हन्त शब्द का प्रयोग | हन्तु, (त्रि.) मारने वाला। हन्त्र, (त्रि.) जिसने मल त्याग दिया हो । हरिवल, (न. ) एक उपधातु का नाम । प्राचीन काल में अशुद्ध की शुद्धि करने के लिये यही लगा दी जाती थी । हरितालिका ( श्री. ) भाद्र मास की शुद्धा तृतीया | पार्वती का किया हुआा व्रत विशेष । हम्मा, } ( त्रि. ) गौधों की ध्वनि ।
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