सामग्री पर जाएँ

ब्रह्मपुराणम्/अध्यायः १०५

विकिस्रोतः तः
← अध्यायः १०४ ब्रह्मपुराणम्
अध्यायः १०५
वेदव्यासः
अध्यायः १०६ →
  1. अध्यायः १
  2. अध्यायः २
  3. अध्यायः ३
  4. अध्यायः ४
  5. अध्यायः ५
  6. अध्यायः ६
  7. अध्यायः ७
  8. अध्यायः ८
  9. अध्यायः ९
  10. अध्यायः १०
  11. अध्यायः ११
  12. अध्यायः १२
  13. अध्यायः १३
  14. अध्यायः १४
  15. अध्यायः १५
  16. अध्यायः १६
  17. अध्यायः १७
  18. अध्यायः १८
  19. अध्यायः १९
  20. अध्यायः २०
  21. अध्यायः २१
  22. अध्यायः २२
  23. अध्यायः २३
  24. अध्यायः २४
  25. अध्यायः २५
  26. अध्यायः २६
  27. अध्यायः २७
  28. अध्यायः २८
  29. अध्यायः २९
  30. अध्यायः ३०
  31. अध्यायः ३१
  32. अध्यायः ३२
  33. अध्यायः ३३
  34. अध्यायः ३४
  35. अध्यायः ३५
  36. अध्यायः ३६
  37. अध्यायः ३७
  38. अध्यायः ३८
  39. अध्यायः ३९
  40. अध्यायः ४०
  41. अध्यायः ४१
  42. अध्यायः ४२
  43. अध्यायः ४३
  44. अध्यायः ४४
  45. अध्यायः ४५
  46. अध्यायः ४६
  47. अध्यायः ४७
  48. अध्यायः ४८
  49. अध्यायः ४९
  50. अध्यायः ५०
  51. अध्यायः ५१
  52. अध्यायः ५२
  53. अध्यायः ५३
  54. अध्यायः ५४
  55. अध्यायः ५५
  56. अध्यायः ५६
  57. अध्यायः ५७
  58. अध्यायः ५८
  59. अध्यायः ५९
  60. अध्यायः ६०
  61. अध्यायः ६१
  62. अध्यायः ६२
  63. अध्यायः ६३
  64. अध्यायः ६४
  65. अध्यायः ६५
  66. अध्यायः ६६
  67. अध्यायः ६७
  68. अध्यायः ६८
  69. अध्यायः ६९
  70. अध्यायः ७०
  71. अध्यायः ७१
  72. अध्यायः ७२
  73. अध्यायः ७३
  74. अध्यायः ७४
  75. अध्यायः ७५
  76. अध्यायः ७६
  77. अध्यायः ७७
  78. अध्यायः ७८
  79. अध्यायः ७९
  80. अध्यायः ८०
  81. अध्यायः ८१
  82. अध्यायः ८२
  83. अध्यायः ८३
  84. अध्यायः ८४
  85. अध्यायः ८५
  86. अध्यायः ८६
  87. अध्यायः ८७
  88. अध्यायः ८८
  89. अध्यायः ८९
  90. अध्यायः ९०
  91. अध्यायः ९१
  92. अध्यायः ९२
  93. अध्यायः ९३
  94. अध्यायः ९४
  95. अध्यायः ९५
  96. अध्यायः ९६
  97. अध्यायः ९७
  98. अध्यायः ९८
  99. अध्यायः ९९
  100. अध्यायः १००
  101. अध्यायः १०१
  102. अध्यायः १०२
  103. अध्यायः १०३
  104. अध्यायः १०४
  105. अध्यायः १०५
  106. अध्यायः १०६
  107. अध्यायः १०७
  108. अध्यायः १०८
  109. अध्यायः १०९
  110. अध्यायः ११०
  111. अध्यायः १११
  112. अध्यायः ११२
  113. अध्यायः ११३
  114. अध्यायः ११४
  115. अध्यायः ११५
  116. अध्यायः ११६
  117. अध्यायः ११७
  118. अध्यायः ११८
  119. अध्यायः ११९
  120. अध्यायः १२०
  121. अध्यायः १२१
  122. अध्यायः १२२
  123. अध्यायः १२३
  124. अध्यायः १२४
  125. अध्यायः १२५
  126. अध्यायः १२६
  127. अध्यायः १२७
  128. अध्यायः १२८
  129. अध्यायः १२९
  130. अध्यायः १३०
  131. अध्यायः १३१
  132. अध्यायः १३२
  133. अध्यायः १३३
  134. अध्यायः १३४
  135. अध्यायः १३५
  136. अध्यायः १३६
  137. अध्यायः १३७
  138. अध्यायः १३८
  139. अध्यायः १३९
  140. अध्यायः १४०
  141. अध्यायः १४१
  142. अध्यायः १४२
  143. अध्यायः १४३
  144. अध्यायः १४४
  145. अध्यायः १४५
  146. अध्यायः १४६
  147. अध्यायः १४७
  148. अध्यायः १४८
  149. अध्यायः १४९
  150. अध्यायः १५०
  151. अध्यायः १५१
  152. अध्यायः १५२
  153. अध्यायः १५३
  154. अध्यायः १५४
  155. अध्यायः १५५
  156. अध्यायः १५६
  157. अध्यायः १५७
  158. अध्यायः १५८
  159. अध्यायः १५९
  160. अध्यायः १६०
  161. अध्यायः १६१
  162. अध्यायः १६२
  163. अध्यायः १६३
  164. अध्यायः १६४
  165. अध्यायः १६५
  166. अध्यायः १६६
  167. अध्यायः १६७
  168. अध्यायः १६८
  169. अध्यायः १६९
  170. अध्यायः १७०
  171. अध्यायः १७१
  172. अध्यायः १७२
  173. अध्यायः १७३
  174. अध्यायः १७४
  175. अध्यायः १७५
  176. अध्यायः १७६
  177. अध्यायः १७७
  178. अध्यायः १७८
  179. अध्यायः १७९
  180. अध्यायः १८०
  181. अध्यायः १८१
  182. अध्यायः १८२
  183. अध्यायः १८३
  184. अध्यायः १८४
  185. अध्यायः १८५
  186. अध्यायः १८६
  187. अध्यायः १८७
  188. अध्यायः १८८
  189. अध्यायः १८९
  190. अध्यायः १९०
  191. अध्यायः १९१
  192. अध्यायः १९२
  193. अध्यायः १९३
  194. अध्यायः १९४
  195. अध्यायः १९५
  196. अध्यायः १९६
  197. अध्यायः १९७
  198. अध्यायः १९८
  199. अध्यायः १९९
  200. अध्यायः २००
  201. अध्यायः २०१
  202. अध्यायः २०२
  203. अध्यायः २०३
  204. अध्यायः २०४
  205. अध्यायः २०५
  206. अध्यायः २०६
  207. अध्यायः २०७
  208. अध्यायः २०८
  209. अध्यायः २०९
  210. अध्यायः २१०
  211. अध्यायः २११
  212. अध्यायः २१२
  213. अध्यायः २१३
  214. अध्यायः २१४
  215. अध्यायः २१५
  216. अध्यायः २१६
  217. अध्यायः २१७
  218. अध्यायः २१८
  219. अध्यायः २१९
  220. अध्यायः २२०
  221. अध्यायः २२१
  222. अध्यायः २२२
  223. अध्यायः २२३
  224. अध्यायः २२४
  225. अध्यायः २२५
  226. अध्यायः २२६
  227. अध्यायः २२७
  228. अध्यायः २२८
  229. अध्यायः २२९
  230. अध्यायः २३०
  231. अध्यायः २३१
  232. अध्यायः २३२
  233. अध्यायः २३३
  234. अध्यायः २३४
  235. अध्यायः २३५
  236. अध्यायः २३६
  237. अध्यायः २३७
  238. अध्यायः २३८
  239. अध्यायः २३९
  240. अध्यायः २४०
  241. अध्यायः २४१
  242. अध्यायः २४२
  243. अध्यायः २४३
  244. अध्यायः २४४
  245. अध्यायः २४५
  246. अध्यायः २४६


अथ पञ्चाधिकशततमोऽध्यायः
सोमतीर्थवर्णनम्
ब्रह्मोवाच
सोमतीर्थमिति ख्यातं पितॄणां प्रीतिवर्धनम्।
तत्र वृत्तं महापुण्यं श्रृणु यत्नेन नारद।। १०५.१ ।।

सोमो राजाऽमृतमयो गन्धर्वाणां पुराऽभवत्।
न देवानां तदा देवा मामभ्येत्येदमब्रुवन्।। १०५.२ ।।

देवा ऊचुः
गन्धर्वैराहृतः सोमो देवानां प्राणदः पुरा।
तमध्यायन्सुरगणा ऋषयस्त्वतिदुःखिताः।।
यथा स्यात्सोमो ह्यस्माकं तथा नीतिर्विधीयताम्।। १०५.३ ।।

ब्रह्मोवाच
तत्र वाग्विबुधानाह गन्धर्वाः स्त्रीषु कामुकाः।
तेभ्यो दत्तवाऽथ देवाः सोममाहर्तुमर्हथ।। १०५.४ ।।

वाचं प्रत्यूचुरमरास्त्वां दातुं न क्षमा वयम्।
विना तेनापि न स्थातुं शक्यं नैव त्वया विना।। १०५.५ ।।

पुनर्वाग्रवीद्देवान्पुनरेष्याम्यहं त्विह।
अत्र बुद्धिर्विधातव्या क्रियतां क्रतुरुत्तमः।। १०५.६ ।।

गौतम्या दक्षिणे तीरे भवेद्देवागमो यदि।
मखं तु विषयं कृत्वा आयान्तु सुरसत्तमाः।। १०५.७ ।।

गन्धर्वाः स्त्रीप्रिया नित्यं पणध्वं तं मया सह।
तथेत्युक्त्वा सुरगणाः सरस्वत्या वचःस्थिताः।। १०५.८ ।।

देवदूतैः पृथग्देवान्यक्षान्गन्धर्वपन्नगान्।
आह्वानं चक्रिरे तत्र पुण्ये देवगिरौ तदा।। १०५.९ ।।

ततो देवगिरिर्नाम पर्वतस्याभवन्मुने।
तत्राऽऽगमन्सुरगणा गन्धर्वा यक्षकिंनराः।। १०५.१० ।।

देवाः सिद्धाश्च ऋषयस्तथाऽष्टौ देवयोनयः।
ऋषिभिगौर्तमीतीरे क्रियमाणे महाध्वरे।। १०५.११ ।।

तत्र देवैः परिवृतः सहस्राक्षोऽभ्यभाषत।। १०५.१२ ।।

इन्द्र उवाच
गनधर्वानथ संपूज्य सरस्वत्याः समीपतः।
सरस्वत्या पणध्वं नो युष्माकममृतात्मना।। १०५.१३ ।।

ब्रह्मोवाच
तच्छक्रवचनात्ते वै गन्धर्वाः स्त्रीषु कामुकाः।
सोमं दत्त्वा सुरेभ्यस्तु जगृहुस्तां सरस्वतीम्।। १०५.१४ ।।

सोमोऽभवच्चामराणां गन्धर्वाणां सरस्वती।
अवसत्तत्र वागीशा तथाऽपि च सुरान्तिके।। १०५.१५ ।।

आयति च रहो नित्यमुपांशु क्रियतामिति।
अत एव हि सोमस्य क्रयो भवति नारद।। १०५.१६ ।।

उपांशुना वर्तितव्यं सोमक्रयण एव हि।
ततोऽभवद्देवतानां एव सोमार्थं गौतमीतटम्।। १०५.१७ ।।

गन्धर्वाणां नैव सोमो नैवाऽऽसीच्च सरस्वती।
तत्रागमन्सर्व एव सोमार्थं गौतमीतटम्।। १०५.१८ ।।

गावो देवाः पर्वता यक्षराक्षाः, सिद्धा साध्या मुनयो गुह्यकाश्च।
गन्धर्वास्ते मरुतः पन्नगाश्च, सर्वौर्षध्यो मातरो लोकपालाः।।
रुद्रादित्या वसवश्चाश्विनौ च, येऽन्ये देवा यज्ञभागस्य योग्याः।। १०५.१९ ।।

पञ्छविंशतिनद्यस्तु गङ्गायां संगता मुने।
पूर्णाहुतिर्यत्र दत्ता पूर्णाख्यानं तदुच्यते।। १०५.२० ।।

गौतम्यां संगता यास्तु सर्वाश्चापि यथोदिताः।
तन्नामधेयतीर्थानि संक्षेपाच्छृणु नारद।। १०५.२१ ।।

सोमतीर्थं च गान्धर्वं देवतीर्थमतः परम्।
पूर्णातीर्थं ततः शालं श्रीपर्णासंगमं तथा।। १०५.२२ ।।

स्वागतासंगमं पुण्यं कुसुमायाश्च संगमम्।
पुष्टिसंगममाख्यातं कर्णिकासंगमं शुभम्।। १०५.२३ ।।

वैणवीसंगमश्चैव कृशरासंगमस्तथा।
वासवीसंगमश्चैव शिवशर्या तथा शिखीः।। १०५.२४ ।।

कुसुम्भिका उपारथ्या शान्तिजा देवजा तदा।
अजो वृद्धः सुरो भद्रो गौतम्या सह संगताः।। १०५.२५ ।।

एते चान्ये च बहवो नदीनदसहायगाः।
पृथिव्यां यानि तीर्थानि ह्यगमन्देवपर्वते।। १०५.२६ ।।

सोमार्थं वै तथा चान्येऽप्यागमन्मखमण्डपम्।
तानि तीर्थानि गङ्गायां संगतानि यथाक्रमम्।। १०५.२७ ।।

नदीरूपेण कान्येव नदरूपेण कानिचित्।
सरोरूपेण कान्यत्र स्तवरूपेण कानिचित्।। १०५.२८ ।।

तान्येव सर्वतीर्थानि विख्यातानि पृथक्पृथक्।
तेषु स्नानं जपो होमः पितृतर्पणमेव च।। १०५.२९ ।।

सर्वकामप्रदं पुंसां भुक्तिदं मुक्तिभाजनम्।
एतेषां पठनं चापि स्मरणं वा करोति यः।।
सर्वपापाविनिर्मुक्तो याति विष्णुपुरं जनः।। १०५.३० ।।

इति श्रीमहापुराणे आदिब्राह्मे स्वयंभुऋषिसंवादे तीर्थमाहात्म्ये पूर्णादिपञ्चविंशतिनदीदेवनदीनदसंगमवर्णनं नाम पञ्चाधिकशततमोऽध्यायः।। १०५ ।।

गौतमीमाहात्म्ये षट्त्रिंशत्तमोऽध्यायः।। ३६ ।।