पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९८८

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शंततमोऽध्यायः मन्वन्तराणि सर्वाणि पूर्वाण्येवापरैः सह | सप्तर्षीणामयैतेषां सांप्रतस्यान्तरे मनोः विस्तरावयवं चैव निसर्गस्य महात्मनः । विस्तरेणाऽऽनुपूर्व्या च सर्वमेव ब्रवीहि मे सूत उवाच भवतां कथयिष्यामि सर्वमेतद्यथातथम् । पादं त्विमं ससंहारं चतुर्थ मुनिसत्तमाः मनोर्वैवस्वतस्येमं सांप्रतस्य महात्मनः । विस्तरेणाऽऽनुपूर्व्या च निसर्ग शृणुत द्विजाः मन्वन्तराणां संक्षेपं भविष्यैः सह सप्तभिः | प्रलयं चैव लोकानां ब्रुवतो मे निबोधत एतान्युक्तानि वै सम्यक्सप्तसप्तसु वै मया । मन्वन्तराणि संक्षेपाच्छृणुतानागतानि मे सावर्णस्य प्रवक्ष्यामि मनोर्वैवस्वतस्य ह | भविष्यस्य भविष्यन्ति समासात्तन्निबोधत अनागताश्च सप्तैव स्मृतास्त्विह महर्षयः । कौशिको गालवश्चैव जामदग्न्यश्च भार्गवः द्वैपायनो वसिष्ठश्च कृपः शारद्वतस्तथा । आत्रेयो दीप्तिमांश्चैव ऋष्यशृङ्गस्तु काश्यपः भारद्वाजस्तथा द्रौणिरश्वत्थामा महायशाः । एते सप्त महात्मानो भविष्याः परमर्षयः ६६७ ॥३ ॥४ ॥५ ॥६ ॥७ ॥८ IIE ॥१० ॥११ ॥१२ अब चतुर्थ उपसंहार नामक पाद का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिये । जो मन्वन्तर व्यतीत हो चुके हैं, उनके अतिरिक्त अन्य मन्वन्तर हैं, तथा इस वर्तमान मन्वन्तर में जो सप्तर्षि हैं, उन सब का वृत्तान्त हमें बतलाइये । वर्तमान महात्मा मनु की इस सृष्टि का उद्भव एवं विस्तार किस प्रकार होता है, इन सब बातों को क्रमानुसार विस्तार पूर्वक हमें बतलाइये | २-४॥ सूत बोलेः – ऋषिवयंवृन्द ! मैं आप लोगों को इन सब जिज्ञासाओं बारे में याथातथ्य रूप से बतला रहा हूँ । चतुर्थ उपसंहार पाद का वर्णन सुनिये । द्विजवृन्द ! साथ ही वर्तमान महात्मा मनु के इस सृष्टि विस्तार का भी विस्तारपूर्वक क्रमानुसार वर्णन कर रहा हूँ १५ - ६ | व्यतीत सातों मन्वन्तरों का भो भविष्यकालीन सातों मन्वन्तरों के साथ संक्षिप्त वर्णन कर रहा हूँ, लोगों का प्रलय किस प्रकार होता है — यह भी बतला रहा हूँ, सुनिये । पूर्व प्रसंग में सातों अतीत एवं भविष्यकालीन मन्वन्तरों का विशद वर्णन में यद्यपि कर चुका हूँ, पर यहाँ प्रसंगवश भविष्यकालीन मन्वन्तरों का संक्षेप में पुनः वर्णन कर रहा रहा हूँ ॥७-८| सम्प्रति वर्तमान वैवस्वत मनु तथा भविष्यकालीन सावर्ण मनु का वर्णन कर रहा हूँ, संक्षेप में सुनिये। भावी मन्वन्तर में जो मुनिगण होंगे उनके नाम सुनिये । वे होंगे कुशिकनन्दन गावल, जमदग्नि पुत्र भार्गव, वसिष्ठ गोत्रीय द्वैपायन, शारद्वत वंशोत्पन्न कृप, अत्रिवंशोद्भव दीप्तिमान, काश्यपगोत्रीय ऋष्यश्रृङ्ग, एवं भरद्वाज गोत्रीय द्रोणपुत्र अश्वत्थामा । ये परम प्रभावशाली महात्मा गण भावी मन्वन्तर में परम ऋषि के नाम से विख्यात होंगे। सुतपा, अमिताभ और सुख ये तीन भावो मन्वन्तर के देवगणों के