पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९७८

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नवनवतितमोऽध्यायः ॥३७७ शक्यमा नाम वै राजा माहिषीणां महीपतिः | x पुष्पमित्रा भविष्यन्ति पट्टमित्रास्त्रयोदश मेकलायां नृपाः सप्त भविष्यन्ति व सत्तमाः । कोमलायां तु राजानो भविष्यन्ति महाबलाः 'मेघा इति समाख्याता बुद्धिसन्तो नवैव तु । नैषधाः पार्थिवाः सर्वे भविष्यन्त्यामनुक्षयात् नलवंशप्रसुतास्ते वीर्यवन्तो महाबलाः | सागमावां महावीर्यो विश्वस्फानिर्भविष्यति उत्साद्य पार्थिवान्सर्वान्सोऽन्यान्वर्णान्करिष्यति । क्तैवर्तान्पञ्चकांश्चैव पुलिन्दान्ब्राह्मणांस्तथा ॥३७८ स्थापयिष्यन्ति राजानो नानादेशेषु तेजता । विश्वस्फाणिर्महासत्त्वो युद्धे विष्णुसमो बलो ॥३७६ विश्वस्फानिर्नरपतिः क्लीबाकृतिरिवोच्यते । उत्सादयित्वा क्षत्रं तु क्षत्रमन्यत्करिष्यति ॥३८०

  • देवान्ति च विप्रांश्च तर्पयित्वा सकृत्पुनः । जाह्नवीतीरमासाद्य शरीरं यस्यते बली

॥३८१ संन्यस्य स्वशरीरं तु शुक्रलोकं गमिष्यति । नवनाकास्तु भोक्ष्यन्ति पुरीं चम्पावतीं नृपाः ॥३८२ ६५७ ॥३७४ ॥३७५ ॥३७६ नामक राजा तेरह वर्ष के लिए राजा होंगे | ३७२-३७४ | मेकला में सात उत्तम नरपति गण राज्यासन प्राप्त करेंगे। कुछ महाबलशाली राजा कोमला में राज्य प्रतिष्ठापित करेंगे । तदनन्तर मेघ नाम से विख्यात नव परम बुद्धिशाली राजा होंगे। ये निषधदेशीय समस्त नृपतिगण मन्वन्तर की समाप्ति तक राज्य पद के अधिकारी रहेंगे। इनकी उत्पत्ति नल वंश से होगी, ये सब के सब महान् बलशाली एवं परम पराक्रमी होंगे। इसके उपरान्त महान् बलशाली मगधदेशीय विश्वस्फानि नामक राजा होगा १३७५- ३७७१. उस समय के अन्य नरेशों को समूल नष्ट करके वह अन्यान्य जातिवालों को राज्य पद प्रदान करेगा | जिनमें कैवर्त पञ्चक, पुलिन्द और ब्राह्मणों के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं । महान् पराक्रमी राजा विश्वस्फानि विभिन्न देशों में इन जाति वालों का राज्य स्थापित करेगा । युद्ध में वह विष्णु के समान वलवान् होगा। ऐसा कहा जाता है कि वह राजा विश्वस्फानि आकृति में नपुंसको के समान होगा । अपने पराक्रम से क्षत्रिय जाति का विध्वंस करके वह शासन को इतर जातिवालों के अधीन कर देमा |३७८-३८०१ परमबलणाली राजा विश्वस्फानि अपने जीवन में देवताओं, पितरों एवं ब्राह्मणों को एक बार पुन: सन्तुष्ट करके अन्तिम समय में पवित्र जाह्नवी तट पर प्राण त्याग करेगा | अपने भौतिक शरीर को त्याग कर वह इन्द्र लोक प्राप्त करेगा | उसके उपरान्त चाम्पावती पुरी में नव नाग वशीय राजाओ का अधिकार होगा | मथुरापुरी में सात नागवंशीय राजा लोग शासन करेंगे। इसके अनन्तर गंगा X एतदर्धस्थान पुत्रमित्रा भविष्यन्ति पण्मित्रास्त्रयोदशेति पाठो ङ पुस्तके |

  • इतः प्रभृति सार्धश्लोको नास्ति ग. पुस्तके |