पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९४१

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६२० वायुपुराणम् अरुद्धस्य तु दायादो गान्धारो नाम पार्थिवः । ख्यायते यस्य नाम्ना तु गान्धारविषयो महान् गान्धारदेशजाश्चापि तुरगा वाजिनां वराः । गान्धारपुत्रो धर्मस्तु धृतस्तस्य सुतोऽभवत् धृतस्य दुर्दमो जज्ञे प्रचेतास्तस्य चाऽऽत्मजः । प्रचेतसः पुत्रशतं राजानः सर्व एव ते म्लेच्छराष्ट्राधिपाः सर्वे ह्य दोचों दिशमाश्रिताः | अनोः पुत्रा माहात्मानत्रयः परमधार्मिकाः ॥१२ सभानरश्न पक्षश्च परपक्षस्तथैव च । सभानरस्य पुत्रस्तु विद्वान्कालानलो नृपः ॥१३ ॥१४ ॥१५ ॥१६ ॥१७ ॥१८

  1. कालानलस्य धर्मात्मा सृञ्जयो नाम धार्मिकः | सृञ्जयस्याभवत्पुन्नो चीरो राजा पुरंजयः

जनमेजयो महासत्त्वः पुरंजयसुतोऽभवत् । जनमेजयस्य राजपॅर्महाशालोऽभवन्नृपः आसीदिन्द्रसमो राजा प्रतिष्ठितयशाः दिवि | महामनाः सुतस्तस्य महाशालस्य धार्मिकः ÷ सप्तद्वीपेश्वरो राजा चक्रवर्ती महायशाः । महामनास्तु पुत्रौ द्वौ जनयामास विश्रुतौ उशीनरं च धर्मज्ञं तितिक्षं चैव धार्मिकम् | उशीनरस्य पत्न्यस्तु पश्च राजपवंशजाः भृगा कृमी नवा दर्वा पञ्चमी च दुषद्वतो | उशीनरस्य पुत्रास्तु पञ्च तासु कुलोद्वहाः ॥ तपसा ते सुमहता जातवृद्धाश्च धार्मिकाः 11E ॥१० ॥१६ चलता रहा । अवरुद्ध का उत्तराधिकारी राजा गान्धार हुआ, जिसके नाम से विशाल गान्धार नामक देश विख्यात है । उसी गान्धार देश में उत्पन्न होनेवाले अपय बहुत अच्छे अश्व होते है । राजा गान्धार का पुत्र धर्म हुआ, उसका पुत्र घृत हुआ |७-१०१ घृत को दुर्दम नामक पुत्र उत्पन्न हुआ, उसका पुत्र प्रचेता हुआ | उस प्रचेता के सौ पुत्र हुए, जो सव के सव राजा थे । वे सब उत्तर दिशा में म्लेच्छों के देश के शासक थे । अनु के तीन पुत्र हुए, जो परमवलशाली एवं घार्मिक थे। उनके नाम थे, सभानर, पक्ष और परपक्ष । इनमें सभानर का पुत्र परम विद्वान राजा कालानल था । कालानत का पुत्र धर्मात्मा राजा सृञ्जय हुआ । सृञ्जय का पुत्र वीर राजा पुरञ्जय हुआ । पुरञ्जय का पुत्र महान् बलशाली राजा जनमेजय हुआ, राजपि जनमेजय का पुत्र राजा महाशाल हुआ ।११-१५। उस महराज महाशाल का यश स्वर्ग में इन्द्र को भाँति प्रतिष्ठित था । उसका पुत्र परम धार्मिक राजा महामना हुआ | सातों द्वीपों का सधीश्वर महान यशस्वी राजा महामना अपने समय का चक्रवर्ती सम्राट् था। उसने परम यशस्वो दो पुत्रों को उत्पन्न किया । जिनमें एक धर्म के तत्त्वों के जाननेवाले राजा उशीनर थे, दूसरे परम धार्मिक राजा तितिक्षु थे। उस राजा उशीनर को राजपिवंश मे उत्पन्न होनेवालो पाँच पत्नियां थीं, उनके नाम थे, गृगा, कृमी, नवा, दर्वा और दृषद्वती। उन पाँचों पतियों के संयोग से महाराज उशीनर को पाँच कुलोद्वारक पुत्र उत्पन्न हुए थे, जो सब के सब परम तपस्वी, महात्मा एवं परम धार्मिक थे ।१६-१६। मृगा का पुत्र मृग था, नवा का पुत्र नव था, कृमो

  • एतदादिश्लोकद्वयं ग पुस्तके नास्ति ।

+ अयं एलोको न विद्यते स पुस्तके |