पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९४०

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नवनवतितमोऽध्यायः अथ नवनवतितमोऽध्यायः तुर्वस्वादिवंशवर्णनम् तुर्वसोस्तु सुतो बहिनुरात्मजः । गोभानोस्तु सुतो वीरत्रिसानुरपराजित: करन्धमस्त्रिसानोस्तु मरुत्तस्य तु चाऽऽत्मजः । अन्यस्त्वाविक्षितो राजा मरुत्तः कथितः पुरा अनपत्यो मरुतस्तु स राजाऽऽसोदिति श्रुतः । दुष्कृतं पौरवं चापि सर्वे पुत्रमकल्पयन् एवं ययातिशापेन जरायाः संक्रमेण तु | तुर्वसोः पौरवं वंशं प्रविवेश पुरा फिल दुष्कृतस्य तु दायादः शरूथो नाम पार्थिवः । शरूयात्तु जनापीडश्चत्वारस्तस्य चाऽत्मजाः पाण्डयश्च केरलश्चैव चोलः कुल्यस्तथैव च । तेषां जनपदाः कुल्याः पाण्याश्चोलाः सकेरलाः द्रुह्यस्य तनयो वीरौ बभ्रुः सेतुश्च विश्रुतौ । अरुद्धः सेतुपुत्रस्तु बाभ्रवो रिपुरुच्यते यौवनाश्वेन समिति कृच्छ्रण निहतो बली | युद्धं सुमहदासीत्तु मासान्परि चतुर्दश ६१८ ॥ १ ॥२ ॥३ ॥४ ॥५ ॥६ ॥७ ॥८ अध्याय ६६ तुर्वसु आदि ययाति पुत्रों के वंश का वर्णन सूत बोले- ययाति पुत्र तुर्वसु का पुत्र वह्नि था, वह्नि का पुत्र गोभानु हुआ गोभानु का परम वीर त्रिसानु था, जो कभी पराजित नही हुआ । उस त्रिसानु का पुत्र राजा करम्घम हुआ, और उसका पुत्र मारुत हुआ । आविक्षित का पुत्र मरुत्त नामक एक अन्य राजा भी प्राचीन काल में कहा जाता है । राजा मरुत्ति के कोई सन्ताने नही थी ऐसा सुना जाता है, इसलिये सबलोगों ने पुरुवंशीय दुष्कृत को उसका पुत्र बनाया |१-३॥ राजा ययाति ने वृद्धत्व को अंगीकार न करने के कारण जो शाप तुर्वसु को दिया था उसी के कारण तुर्वसु का वंश नष्ट हो गया और और ऐसी प्रसिद्धि है कि वह अंत में पुरु वंश मे मिल गया | उस दुष्कृत का उत्तराधिकारी राजा शरूथ हुआ शरूथ से जनापीड की उत्पत्ति हुई, उसके चार पुत्र हुए, उनके नाम पाण्ड्य, केरल, चोल ओर कुल्य थे | उन सबो के अपन अपने जनपद थे, जो पाण्डय, केरल, चोल और कुल्य के नाम से विख्यात है |४-६। द्रुह्य के दो वीर पुत्र थे, बभ्रु और सेतु, इनमें सेतु का पुत्र अरुद्ध हुआ और बभ्रु का पुत्र रिपु हुआ । युद्ध " इस बलशाली रिपु को परम कठोर स्वभाववाले यौवनाश्व ने मार डाला, वह महायुद्ध लगातार चौदह मास तक