पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९०२

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षंण्णवतितमोऽध्यायः ॥२३१ ॥२३२ अचरत्स महीं देवः प्रविष्टो मानुषीं तनुम् | मोहयन्सर्वभूतानि योगात्मा योगमायया नष्टे धर्मे तदा जज्ञे विष्णुवृष्णिकुले स्वयम् | कर्तु धर्मव्यवस्थानमसुराणां प्रणाशनम् आहता रुक्मिणी कन्या सत्या नग्नजितस्तदा । सात्राजिती सत्यभामा जाम्बवत्यपि रोहिणी ॥२३३ सै (शै) व्या सुदेवी माद्री च सुशीला नाम चापरा | कालिन्दी मित्रविन्दा च लक्ष्मणा जालवासिनी ॥ एवमादीनि देवीनां सहस्राणि च षोडश | चतुर्दश तु ये प्रोक्ता गणाश्चाप्सरसां दिवि ॥ विचिन्त्य देवैः शक्रेण विशिष्टास्त्विह मेषिताः पत्म्यर्थं वासुदेवस्य उत्पन्ना राजवेश्मसु । एताः पत्न्यो महाभागा विष्ववसेनस्य विश्रुताः प्रद्युम्नश्चारुदेष्णश्च सुदेष्णः शरभस्तथा । चारुश्च चारुभद्रश्च भद्रचा रुस्तथाऽपरः चारुविन्ध्यश्च रुक्मिण्यां कन्या चारुमही तथा | सानुर्भानुस्तथाऽक्षश्च रोहितो मन्त्रयस्तथा जरान्धकस्तास्रवक्षा भौमरिश्च जरन्धमः । चतत्रो जज्ञिरे तेषां स्वसारो गरुडध्वजात् भानुभमरिका चैव ताम्रपर्णी जरन्धमाः | सत्यभामासुतानेताञ्जाम्बवत्याः प्रजाः शृणु भद्रश्च भद्रगुप्तश्च भद्रविन्द्रस्तथैव च । सप्तबाहुश्च विख्यातः कन्या भद्रावती तथा ॥ संबोधनी च विख्याता ज्ञेया जाम्बवतीसुताः ८५१ ।।२३५ ॥२३६ ॥२३७ ॥२३८ ॥२३६ ॥२४० ॥२४१ में अंशभूत थी । महावाहु भगवान् कृष्ण ने देवकी के मनोरथो को पूर्ण किया था। ये देवाधिदेव यंगात्मा भगवान् विष्णु अपनी योगमाया से संसार के समस्त जीवो को मोहित कर धर्म के नष्ट हो जाने पर स्वयमेव वृष्णि कुल में प्रादुर्भूत हुए थे | मनुष्य शरीर धारण कर पृथ्वी पर धर्म की व्यवस्था एवं असुरों के विनाश के लिये अवतरित हुए थे । उत्पन्न होकर उन्होंने रुक्म की कन्या रुक्मिणी का हरण किया। नग्नजित की कन्या सत्या, सत्राजित की कन्या सात्राजिती सत्यभामा, जाम्बवान् की पुत्री जाम्बवन्ती, रोहिणी, सैव्या, सुदेवी, माद्री, सुशीला, कालिन्दी, मित्रविन्दा, लक्ष्मणा जालवासिनी आदि सोलह सहस्र देवियाँ उनकी स्त्री थी । स्वर्ग मे परम सुन्दरी अप्सराओं के जो चौदह गण कहे गये हैं, उन्हे देवताओ के साथ सम्मति कर इन्द्र ने मयंलोक मे भेज दिया था |२३०-२३५॥ वासुदेव की पत्नी होने के लिए वे राजाओं के घर में उत्पन्न हुई। विष्वक्सेन को ये महाभाग्यशालिनी पत्नियाँ परम प्रख्यात थी । रुक्मिणी में प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, शरभ, चा, चारुभद्र, भद्रचारु, चारु विन्ध्य नामक पुत्र तथा चारुमही नामक कन्या उत्पन्न हुई । सानु, भानु, अक्ष, रोहित, मन्त्रय, जरान्धक, ताम्रवक्षा, भौमरि, जरन्धम ये पुत्र तथा भानु, भोमरिका, ताम्रपर्णी और जरन्धमा नामक चार कन्याएँ गरुड़ध्वज भगवान् के संयोग से सत्यभामा मे उत्पन्न हुईं । अव जाम्बवती की सन्ततियो का विवरण सुनिये | भद्र, भद्रगुप्त, भद्रविन्दु, भद्रबाहु ये पुत्र तथा भद्रावती नामक एक कन्या जो संबोधनी नाम से फा०-१११