पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/८१२

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अष्टाशीतितमोऽध्यायः हैहयैस्तालजङ्घैश्च निरस्तो व्यसनी नृपः । शकैर्यवनकाम्बोजैः पारदैः पल्हवैस्तथा नात्यर्थं धार्मिकोऽभूत्स धर्म्ये सत्ययुगे तथा । सगरस्तु सुतो बाहोर्जज्ञे सह गरेण वै ॥ मृगोराश्रममासाद्य तुर्वेण परिरक्षितः आग्नेयमस्त्रं लब्ध्वा तु भार्गवात्सगरो नृपः । जघान पृथिवीं गत्वा तालजङ्घान्स हैहयान् शकानां पल्हवानां च धर्मान्निरसदच्युतः । क्षत्रियाणां तथा तेषां पारदानां च धर्मवित् ॠषय ऊचु: कथं स सगरो राजा गरेण सह जज्ञिवान् । किमर्थं च शकादीनां क्षत्रियाणां महौजसाम् ॥ धर्मान्कुलोचितान्क्रुद्धो राजा निरसदच्युतः सूत उवाच बाहोनिनस्तस्य हृतं राज्यं पुरा किल । हैहयैस्तालजङ्चैश्च शकैः सार्धं समागतैः यवनाः पारदाश्चैव काम्बोजा: पल्हवास्तथा । हैहयार्थ पराक्रान्ता एते पञ्च गणास्तदा ७६१ ॥१२२ ॥१२३ ॥१२४ ॥१२५ ॥१२६ ॥१२७, ॥१२८ उनके साथ शक, यवन काम्बोज पारद और पल्हवो के वंश में उत्पन्न होनेवाले भी थे । सत्ययुग का समय होने पर भी वह राजा बाहु परम धार्मिक नही था, उस राजा वाहु का पुत्र विष के साथ गर्भ से उत्पन्न हुआ, उसका नाम सगर पड़ा । पिता के शत्रुओं द्वारा की गई दुरवस्था मे भृगु के आश्रम में उसकी रक्षा तुर्व ने की थी ।१२०-१२३। भार्गव से आग्नेय अस्त्र प्राप्त कर राजा सगर ने समस्त पृथ्वी पर घूम घूम कर हैहय और तालजंघ के वंश मे उत्पन्न होने वालो मे सब का संहार कर डाला । उस महाबलवान् राजा सगर ने पाको, पल्हवों, पारदों एवं अन्य क्षत्रियों को भी अपने पूर्वजो के अधिकार एवं धर्म से वंचित कर दिया |१२४-१२५ - ऋषियों ने कहा- सूत जी ! वे राजा सगर किस प्रकार विष के साथ उत्पन्न हुए, और किस लिये उस अच्युत ने महान तेजस्वी शको, एव क्षत्रियों के कुलोचित धर्मो को क्रुद्ध होकर निरत कर दिया |१२६| सूत बोले- ऋषिगण ! ऐसी प्रसिद्धि है कि पूर्वकाल में राजा बाहु के व्यसनी होने के कारण उनका राज्य हैहय, तालजंघ एवं शकों के साथ यवन, पारद, कम्बोज और पल्हवों ने आक्रमण करके सारा राज्य छीन लिया। उस समय इन पाँचों गणो ने हैहय के लिये यह आक्रमण किया | इन क्षत्रि पुङ्गव बलवान् शत्रुओं द्वारा राज्य छीन लिए जाने पर धर्मात्मा राजा बाहु घर द्वार छोड़ कर पत्नी के साथ