पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/७८५

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७६४ वायुपुराणम् सत्येन चैन सुश्रोणि प्रीतौ स्वो वरवर्णनि । आवयोस्त्वं महाभागे ख्याति कन्या प्रयास्यसि सुद्युम्न इति विख्यातिस्त्रिषु लोकेषु पूजितः । जगत्प्रियो धर्मशीलो मनोवंशविवर्धनः मानवः स तु सुद्युम्नः स्त्रीभावमगमत्प्रभुः । सा तु देवी वरं लब्ध्वा निवृत्ता पितरं प्रति बुधेनान्तरमासाद्य मैथुनायोपमन्त्रिता | सोमपुत्राद्बुधाच्चास्या ऐलो जज्ञे पुरूरवाः बुधात्सा जनयित्वा तु सुद्युम्नं पुनरागता | सुघुम्नस्य तु दायादास्त्रयः परमधार्मिकाः उत्कलच गयश्चैव विनताश्वस्तथैव च । उत्कलस्योत्कलं राष्ट्र विनताश्वस्य पश्चिमम् ॥ दिक्ष्ववातस्य राजर्षेर्गयस्य तु गया पुरी प्रविसृष्टे मनौ तस्मिन्प्रजाः सृष्ट्वा दिवाकरः । दशधा तद्दधत्क्षेत्रमकरोत्पृथिवीमिमाम् इक्ष्वाकुरेव दायादानन्यान्दश समाप्नुयात् । कन्याभावात्तु सुद्युम्नो नैनं भागमवाप्नुयात् वशिष्ठवचनाच्चाऽऽसीत्प्रतिष्ठा नो महाद्युतिः । प्रतिष्ठा धर्मराजस्य सुघुम्नस्य महात्मनः तत्पुरूरवले प्रादाद्राष्ट्रं प्राप्य महायशाः । मानवेभ्यो महाभागा स्त्रीपुंसोर्लक्षणं प्रति ॥ मानवः स तु सुद्युम्नः स्त्रीभावमगमत्पुनः एतच्छू त्वा तु ऋषयः पप्रच्छुस्तदनन्तरम् । मानवः स तु सुद्युम्नः स्त्रीभावमगत्मकथम् ॥१४ ॥१५ ॥१६ ॥१७ ॥१८ ॥१६ ॥२० ॥२१ ॥२२ ॥२३ ॥२४ हम दोनों की कन्या के रूप • प्रतिष्ठित होगी । पुनः तीनों लोकों में पूजनीय, जगत् के प्रिय, धर्म शील, मनु के वंश के विस्तारक सुद्युम्न रूप में विख्यात होगे, वे सुद्युम्न पुनः स्त्री रूप में परिणत हुए | देवी इला वरदान प्राप्ति के बाद पिता के पास वापस आई । उचित अवसर देखकर उसे बुध ने काम तृप्ति के लिए निमंत्रित किया | चन्द्रमा के पुत्र बुध से इला को पुरुरवा नामक पुत्र उत्पन्न हुआ |१४-१७। बुध के संयोग से पुरूरवा को जन्म देकर वह पुनः सुद्युम्न रूप में परिणत हो गई। सुद्युम्न के तीन परम धार्मिक पुत्र हुए, जिनके नाम उत्कल, गय और विनताइव थे | उत्कल का राष्ट्र उत्कल प्रदेश, विनताश्व का पश्चिमी प्रदेश और राजप दिध्ववात ( विनताश्व ?) की गया नामक पुरी थी |१८-१९। उस मन्वन्तर में मनुपुत्र सूर्य ने इस प्रकार सृष्टि का विस्तार कर समस्त पृथ्वीमण्डल को दस भागों में विभक्त किया । इक्ष्वाकु ने अन्य दस पुत्रों को प्राप्त किया, जो राज्य के उत्तराधिकारी थे, कन्या होने के कारण सुद्युम्न इस राज्य के उत्तराधिकार को नहीं प्राप्त कर सके । तव वसिष्ठ के अदेशानुसार धर्मराज महात्मा सुयुम्न प्रतिष्ठान (?) के उत्तराधिकारी हुए | किन्तु परम यशस्वी मनु पुत्र सुद्युम्न राज्य प्राप्त कर फिर से स्त्री रूप में जब हो गये तब राज्य को पुरूरवा को दे दिया, मनुष्य में स्त्री पुरुषों के चिह्न की सहन हो जानकारी रहती है। सूत को ऐसी बातें सुन ऋषियों ने पूछा, मनु पुत्र सुद्युम्न पुरुप हो कर स्त्री रूप में किस प्रकार परिणत हुए । २०-२४ ने