पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/७०९

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वायुपुराणम PIPE FR 115 118 PE । ११ महातेजा महादेवस्तपसा तैस्तु तापितः । तपसा तेन सुप्रीतः कं कामं विदधामि वः एवमुक्तास्तदा विश्वे ब्रह्मणा लोककर्तॄणा | ऊचुस्ते सहिताः सर्वे ब्रह्माणं लोकभाविनम् श्राद्धेऽस्माकं भवेदंशो ह्येषे नः काङ्क्षितो वरः । प्रत्युवाच ततो ब्रह्मा तान्वै त्रिदिवपूजितान् ॥१० भविष्यत्येवमेवेति काङ्क्षितो वो वरस्तु यः । पितृर्भिस्तु तथेत्युक्त्वा एवमेतन्न संशयः 'सहास्माभिस्तु वो भाव्य यत्किचित्क्रियते गोरक्षा का क्रियते वह । अस्थाक' कल्पिते श्राद्ध युष्मानग्रासन ह'वे' ११२ 'भविष्यति मनुष्येषु सत्यमेतदद्धयामि ते मात्य मन्पतियाऽन्नन युप्मानप्रेऽवयिष्यतिएको १३ प्रदाता चेति युष्माकमस्माकं दास्यते ततः।' ततः। विसर्जनमथास्मीक पूर्व पश्चात् देवताः" F3s P॥१४ रक्षणं चैव श्राद्धस्य आतिथ्यं च विधिद्वयम् । भूतानां देवतानां च पितॄणी घोर्द्धकर्माणि एवं विधिकृतः (तं) सम्पदसवमर्तविण्यात 1 १५ एवं दत्वा दरं तेषां ब्रह्मा पितृगतः सह । भूतानुग्रहविः सवचार येथासुखाश् 311 FIFY: PPPY BIR SIDE OF 1 FREIPFINSTER) OFFR 17TP FSE HİLALÞISTUESPI ILI İPPİLIFIKR 1 FLIEFSÍRÉ FETHİÇY) F HÆFT ब्रह्मा ने कहाः – उन लोगो की (आप लोगों को) इस परम कठोर तपस्या से महातेजस्वी महादेव जी पर मां प्रसन्न हो गये है, हम भी बहुत प्रसन्न हैं, बोलिये, आपके किस मनोरथ को पूर्ण करें। लोक के रचयिता भगवान् ब्रह्मा के ऐसा कहनलपुर सव विश्वेदेवगण एक साथ ही लोकेश ब्रह्मा से बोले, हम लोगों की आकाङ्क्षा यह है कि श्राद्ध मे हम लोगो को अंश मिले । विश्वेदेवों के ऐसा कहने पर ब्रह्मा ने उन स्वर्गपूजित विश्वेदेवो से कहा, आप लोग जीवर चाहते हैं, वह सफल होगा। अनन्तर पितरों ने विश्वेदेवो से कहा ब्रह्माजी लै जैसा आप लोगो के लिये कहा है वह सत्य होगा। इसमें सन्देह नही ६०११। इस yलवेक्र)सेंजो कुछ भी, हम लोगों के लिये किया जाता है, उन सब मे हमारे साथ तुम लोग रहोगे। हम लोगों फेििदये ज्ञानेवाले मनुष्यों द्वारा विहित श्राद्ध कर्म में तुम लोगों का गे: आसन होगा यह सच कह रिहे हि ॥ ११२।।मनुष्य लोग उसश्राद्ध कर्म मे विविध प्रकार कुतो, मालाओ से सुगंधितव्यो, तनाअनादि भक्षणीयवस्तुओ से तुम।लोगो को प्रथम पूजित करेंगे। इसी प्रकार जो कुछ भी वस्तुएँ दी जायँगी, वह तुम लोगों:को पहिले।और हमःलोगो को बाद मे दी जायेंगी विसर्जन मे हम लोगों का प्रथम स्थान रहेगा देवता 7(आप्.लोग)(गुण हमलोगो के पश्चात् विसज्ञिता किये जायेंगे, १३ १४ भूतो, देवताओं, और पितरों के “उद्देश्य सेक्रिये,ज्ञानेवाले श्राद्धकर्मा श्राद्ध सर्वोभावेत रक्षा और आतिथ्य सत्कार ये दो विधान हैं ! इन दोनोक्रे} भलीभाँति सम्पन्न हो जातेलपरस; आाद को सुलारु रूप से सम्पन्न समझना चाहिये । हम उलोगों ज्ञे जो बाते तुम लोगो से कही है सबसय होगी। पितरगणों के साथ सभी जीवो के ऊपर अनुग्रह करने वाले भगवान् ब्रह्मा विश्वेदेवों को इस प्रकार वरदान देकर आनन्द-पूर्वक अपते, अभीष्ट स्थान F समस्त ६८५