पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/६४७

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वायुपुराणम् संकीर्णोऽप्यञ्जनो यस्तु उपवाह्यो यमस्य तु | भद्रो यः सुत्रतीकस्तु हरितः स ह्यांपतेः ।२१५ पद्मो मन्दस्तु यो गौरो द्विपो ह्येलविलस्य सः । मृगः श्यामस्तु यो हस्ती उपवाह्यः स पावकैः ॥२१६ पद्मोत्तरस्तु यः पद्मो गजो वै वरुणो गणः । उपलेपनमेपश्च तस्याप्टौ जज्ञिरे सुताः उदग्रभावेनोपेता जायन्ते तस्य चान्वये । श्वेतबालनखाः पिङ्गा वर्ष्मवन्तो मतङ्गजाः । मतङ्गजान्प्रवक्ष्यामि नागानन्यानपि क्रमात् ।।२१७ ६२६ ॥२१८ ॥२१६ ॥२२१ कपिलः पुण्डरीकश्च सुमनाभो स्थान्तरः | जातौ नाम्ना सुतौ तास्यां सुप्रतिष्ठप्रमर्दनौ शूलाः स्थूलाः शिरोदान्ताः शुद्धवालनखास्तथा । वलिनः शक्तिनश्चैव मृतास्त्वाकुलिका गजाः ॥२२० पुष्पदन्तो बृहत्सामा षड्दन्तो दन्तपुष्पवान् । ताम्रवर्णी च तत्पुत्रः सहचारिविषाणितः अन्वये चास्य जायन्ते लम्बोष्ठाश्चारुदशिनः । श्यामाः सुदर्शनाश्चण्डा नानापीडायताननाः वामदेवोऽञ्जनश्यामः साम्नो जज्ञेऽथ दामनः | शार्या चैदाङ्गदा तस्य नीलवल्लक्षणौ सुतौ चण्डाश्चारुशिरोग्रीवा व्यूढोरस्कास्तरस्विनः | नरैर्वद्धाः कुले तेषां जायन्ते विकृता गजाः ॥२२२ ॥२२३ ॥२२४ संकीर्ण और अञ्जन—ये यमराज के वाहन हैं, भद्र और सुप्रतीक, जो कि हरित वर्ण का है, जल के स्वामी घरुण के वाहन हैं ।२१२-२१५। पद्म और मन्द जो कि गोर (व्वेत) वर्ण का है, ऐलविल (कुवेर' के हस्ती हैं । मृग नामक श्याम वर्ण का जो हस्ती है वह अग्नियो का वाहन है । पद्मोत्तर पद्म नामक जो गज है वह वरुण के वाहन गणों मे से है, और वह उपलेपन (2) भी कहा जाता है। उसके बाठ पुत्र उत्पन्न हुए | जो सब उग्र स्वभाव वाले थे | उनके वश मे श्वेत वाल और नखवाले, पीले वर्ण के शरीरवाले मतंगज उत्पन्न हुए | उन सबों को तथा अन्यान्य नागों को भी क्रमशः सुना रहा हूँ | २१६-२१८/पुण्डरीक, नामक गज कपिल (भूरे) वर्ण का तथा रथान्तर पुष्प के रंग के समान घोभावाला गज है, उन दोनो से सुप्रतिष्ठ और प्रमर्दन नामका पुत्र उत्पन्न हुये । इनके अतिरिक्त शुल, स्थूल प्रभूति उच्च फिर वाले, शुद्ध बाल और नखवाने, बलवान्, शक्तिशाली गज हुए, जो अकुलिक नाम से स्मरण किये गये। इनके वश मे पुष्पदन्त वृहत्सामा, पड्दन्त, दन्तपुष्पवान्, ताम्रपर्णी प्रभृति गज उत्पन्न हुये । इनके हस्तिनियों के सहगमन से पुत्र उत्पन्न हुए इनके वंश मे लवे ओठोवाले सुन्दर दिखाई पड़नेवाले श्यामवर्ण के उग्रस्वभाव वाले, लंबे मुँहवाले सौर अनेक ग्रकार की पीड़ा महन करने में सशक्त गज उत्पन्न होते हैं । वामदेव नामक हस्ती अंजन के समान श्यामल वर्ण का है, साम से वामन नामक गज उत्पन्न हुआ जिसकी स्त्री अंगदा थी, उसके नीलवत् और लक्षण नामक दो पुत्र थे |२१६०२ - ३ | ये सब गज अत्यन्त उग्र स्वभाव वाले थे इनके शिरोभाग और कन्धे देखने ' सुन्दर थे, वक्षस्थल अत्यन्त विशाल और चलने में वे वेगशाली थे। इन गजों के वंश में जो विकृत गज उत्पन्न होते हैं, वें मनुष्यों द्वारा बन्धन में डाने जाते हैं। सुप्रतीक के समान सुन्दर आकार वाला में