पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/५९१

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५७० घायुपुराणम् स्कन्दः सनत्कुमारच जज्ञे पादेन तेजसः | अग्निपुत्रः कुमारस्तु शरस्तम्बे व्यजायत || तस्य शाखो विशाखश्च नैगमेयश्च पृष्ठजाः ॥२४ ॥२५ ॥२६ ।।२७ ॥२८ ॥२६ अनिलस्य शिया भार्या तस्याः पुत्रो मनोजवः । अविज्ञातगतिश्चैव द्वौ पुत्रावनिलस्य च प्रत्यूषस्य विदुः पुत्र ऋषिनना तु देवलः । द्वौ पुत्री देवलस्यापि क्षमावन्तो मनीषिणो बृहस्पतेस्तु भगिनो वरस्त्री ब्रह्मचारिणी । योगसिद्धा जगत्कृत्स्नमसक्ता विचरत्युत प्रभासस्य तु या भार्या वसूनामष्टमस्य ह । विश्वकर्मा सुतस्तस्या जातः शिल्पिप्रजापतिः सकर्ता सर्वशिल्पानां त्रिदशानां च वर्धकिः | भूषणानां च सर्वेषां कर्ता कारयिता च सः सर्वेषां च विमानानि देवतानां करोति सः । मानुपानोपजीवन्ति यस्य शिल्पानि शिल्पिनः विश्वे (श्व ) देवास्तु विश्वाया जज्ञिरे दश विश्रुताः । ऋतुर्दक्षः श्रवः सत्यः कालः कामो धुनिस्तथा ॥३१ कुरुवान्प्रभवांश्चैव रोचमानश्च ते दश | धर्मपुत्राः स्मृता होते विश्वायां जज्ञिरे शुभाः मरुत्वत्यां तु मरुतो भानवो भानुजाः स्मृताः । मुहूर्ताश्च मुहूर्तायां घोषं लम्बा व्यजायत संकल्पायां तु संजज्ञे विद्वान्संकल्प एव च । नागवीथ्यस्तु जाम्यां च पथत्रयसमाश्रिताः ॥३० ॥३२ ॥३३ ॥३४ हुआ, उनका दूसरा नाम स्कन्द हुआ | ये स्कन्द और सनत्कुमार अग्नि के चतुर्थांश तेज से उत्पन्न हुए थे । इनके शाख, विशाख और नंगमेय नामक कनिष्ठ भाई हुए |२१-२४१ अनिल की स्त्री का नाम शिवा था, जिसके संयोग से मनोजत्र और अविज्ञात गति नामक दो पुत्र अनिल के हुए । प्रत्यूष के पुत्र का नाम देवल- ऋषि लोग जानते है । देवल के क्षमावान् और मनीषी नामक दो पुत्र हुए | वृहस्पति की भगिनी परमयोग- सिद्ध, ब्रह्मचारिणी वरस्त्री थी जो समस्त जगत में बिना किसी आसक्ति के विचरण करती थी |२५-२७१ वह वरस्त्री आठवे वसु प्रभास की स्त्री थी उसका पुत्र था । वह विश्वकर्मा समस्त शिल्पकर्मों का निर्माता तथा r विश्वकर्मा हुआ जो समस्त शिल्पिओ का प्रजापति देवताओं का बढ़ई था | सभी प्रकार के आभूषणों का वह कर्त्ता तथा निर्देशक था। सभी देवताओं के विमानों को वह स्वयं बनाता था, शिल्पजीवि मानव समूह आज भी उसके शिल्प में के द्वारा जीविका अर्जन करते है | धर्म की विश्वा नामक पत्नी के दस विख्यात पुत्र हुए जो विश्वेदेव के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनके नाम ऋतु दक्ष, श्रव, सत्य, काल, काम, घुनि कुरुवान्, प्रभवान् और रोचमान है । ये मगलकार्य साधक धर्मपुत्र विश्वा के गर्भ से उत्पन्न हुए थे |२८-३२। इसी प्रकार मरुत्वती मे मरुद्गण तथा भानु मे भानुगण नामक पुत्रो को उत्पत्ति हुई | मुहूर्ता ने मुहूर्त नामक पुत्रो को तथा जम्बा ने धोष नामक एक पुत्र को उत्पन्न किया। संकल्पा नामक धर्म की पत्नी मे परमविद्वान् संकल्प नामक पुत्र की उत्पत्ति हुई । तीन पथो मे समाश्रित नागवीथियाँ यामी नामक धर्मपत्नी मे उत्पन्न L