पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/२७२

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श्रयस्त्रिशोऽध्यायः २५३ ।।७ ८ महषिसर्गः प्रोक्तो वै वंशं स्वायंभुवस्य तु। विस्तरेणानुपूव्र्या च कीर्यमानं निबोधत ३ मनोः स्वायंभुवस्याऽऽसन्दश पौत्रास्तु तत्समाः। यैरियं पृथिवी सर्वा सप्तद्वीपसमन्विता ॥४ ससमुद्रा करवती प्रतिवर्ष निवेशिता । स्वायंभुवेऽन्तरे पूर्वमाद्ये त्रेतायुगे तदा ५ प्रियन्तस्य पुत्रैस्तैः पौत्रैः स्वायंभुवस्य तु । प्रजासर्गतपोयोगैस्तैरियं विनिवेशिता ६ प्रियव्रतात्प्रजावन्तो वीरात्कन्या व्यजायत । कन्या सा तु महाभागा कर्दमस्य प्रजापतेः कन्ये द्वे शतपुत्राश्व सम्राट्कुक्षिश्च ते उभे । तयोर्वै भ्रातरः शूराः प्रजापतिसमा दश अग्नीध्रश्च वपुष्मांश्च मेधा मेधातिथिवभुः । ज्योतिष्मान्द्युतिमान्हव्यः सवनः सर्व एव च । e प्रियव्रतोऽभिषिच्यैतान्सप्तसप्तसु पार्थिवान् । द्वीपेषु तेषु धर्मेण द्वीपांस्तांश्च निबोधत ।।१० जम्बूद्वीपेश्वरं चने अग्नीषं तु महाबलम् । प्लक्षद्वीपेश्वरश्चापि तेन मेधातिथिः कृतः ११ शाल्मलौ तु वपुष्मन्तं राजानमभिषिक्तवान् । ज्योतिष्मन्तं कुशद्वीपेश्वरं राजानं कृतवान्प्रभुः ।१२ द्युतिमन्तं च राजानं क्रौञ्चद्वीपे समादिशत् । शाकद्वीपेश्वरं चापि हव्यं चक्रे प्रियव्रतः १३ पुष्कराधिपतिं चापि सधिनं कृतवान्प्रभुः। पुष्करे सवनस्यापि महावीतः सुतोऽभवत् । धातकिश्चैव द्वावेतौ पुत्रौ पुत्रवतां वरौ ॥१४ आदि सभी समान रूप से अभिमानी होते हैं ।२। महषियों की सृष्टि पहले कही जा चुकी है अब स्वयम्भुव का वंश विस्तार हम क्रमशः कहते हैं, सुनिये ।३। स्वायम्भुव मनु के उन्ही की तरह दस पोते थे । जिन्होंने उसी स्वायम्भुव मन्वन्तर के आदि त्रेता युग में पहले पहल सातों द्वीपों ओर समुद्रों के साथ समूची पृथ्वी का प्रतिवर्ष कर-संग्रह किया था । प्रियव्रत के पुत्रों और स्वायम्भुव के उन पत्रों ने योग और तपस्या के द्वारा प्रज़ओ की सृष्टि के अनुसार पृथ्वी का शासन किया । वीर प्रजापति प्रियव्रत को एक सौभाग्यशालिनी कन्या भी थी, जो कर्दम प्रजापति से व्याही गयी थी ।४-७। इसके अतिरिक्त उन्हें ओर दो पुत्रियाँ तथा सन्नाट् कुलि आदि सौ पुत्र थे। इन दोनों के प्रजापति की ही तरह शूरवीर दस भाई थे। जिनके नाम थे अग्नीध्र वपुष्मान्, मेघा, मेधातिथि, विभुव्योतिष्मान्, द्युतिमान् हव्य, सवन और सव्य । प्रियव्रत ने इन सात राजाओं का उन सात भागों में विभक्त सात द्वीपों में धर्मानुसार अभिषेक किया । उन द्वीपों के विषय में मुनिये ।८-१०जम्बू द्वीप में महाबली अग्नीषा को प्रभु बनाया ओर उसी प्रकार प्लक्ष द्वीप में मेघा तिथि ईश्वर बनाये गये । शाल्मल द्वीप में वपुष्मन् राजा बनाकर राज्यासन पर बैठाये गये और कुशद्वीप के योतिष्मान् राजा बनाये गये । क्रौञ्चद्वीप राजा द्युतिमान् को दिया गया । हव्य को प्रियव्रत ने शाकद्वीप का स्वामी बनाया ॥११-१३। इसके अनतर प्रियव्रत ने सवन को पुष्कर द्वीप का अधिपति बनाया। पुष्कर