पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/२२०

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अष्टाविशोऽध्यायः २०१ तयोः पुत्राश्च पौत्राश्च येऽतीता वै सहस्रशः। अनसूयाऽपि जनं ताम्वाऽऽत्रेयानकल्मषान् ॥१८ कन्यां चैव भृतं नाम माता शवपदस्य या । कर्दमस्य तु या पत्नी पुलहस्य प्रजापतेः १९ सत्यनेत्रा हव्या आपोमूतिः शनीश्वरः। सामेश्च पञ्चमस्तेषामासीत्स्वायंभुवेऽन्तरे । यामेऽतीते सहातीतः पश्चऽत्रेया प्रकीर्तितः। २० तेषां पुत्राश्च पौत्राश्च ह्यत्रिणा वै महात्मना। स्वयंभुवेऽन्तरे यामे शतशोऽथ सहस्रशः ॥२१ पुरीत्यां पुलस्त्यभार्यायां दत्तालिस्तत्सुतोऽभवत् । पूर्वजन्मनि सोऽगस्त्यः स्मृतः स्वायंभुवेऽन्तरे । तमो वेवबाहुश्च विनीतो नाम ते त्रयः याऽसौ यवीयसी तेषां सद्वती नाम विश्रुता । पर्जन्यजननी शुभ्रा पत्नी त्वग्नेः स्मृता शुभा ॥२३ पाल्यत्यस्य ऋषेश्चापि प्रीतिपुत्रस्य धीमतः । दत्तालेः सुषुवे पत्नी सुजङ्घादीबहून्सुतान् । पौलस्त्या इति विख्याताः स्मृताः स्वायंभुवेऽन्तरे २४ क्षमा तु सुषुवे पुत्रान्पुलहस्य प्रजापतेः। ते चाग्निवर्चस सर्वे येषां कीतिः प्रतिष्ठिता २५ कर्दमश्चाम्बरीषश्च सहिष्णुश्चेति ते त्रयः । ऋषिर्धनकपीवांश्च शुभा कन्या च पीवरी ॥२६ कर्दमस्य श्रुतिः पत्नी आत्रेय्यजनयत्सुतान् । पुत्रं शर्वोपदं चैव कन्यां काम्यां तथैव च ॥२७ २२ से पाँच निष्पाप पुत्र और एक कन्या को उत्पन्न किया। इस कन्या का नाम श्रुति था, जो शह्पादकी माती और प्रजापति कर्दम ऋषि की पत्नी थी । सत्यनेत्र, हव्य, आपोमूति, शनीश्वर और सोम नामक जिन पाँचों पुत्रों को अनसूया ने उत्पन्न किया था, वे स्वायम्भुव मनु के अधिकार काल में विद्यमान् थे । याम ( नामक देवगण ) के अतीत होने पर ये पाँचों अत्रिवंशधर भी विलुप्त हो गये १८२० स्वायम्भुव मनु के अधिकार काल में उनके सैकड़ों हजारों पुत्र-पौत्रगण महारमा अत्रि के साथ विद्यमान थे । प्रीति के गर्भ के पुलस्त्य को दत्तालि नामक पुत्र हुआ । ये ही स्वायम्भुव मनु के समय पूर्व जन्म में अगस्त्य थे। उन्हे देवबाहु और विनीत नामक दो भाई और हुये । इनकी छोटी बहन का नम सद्वती था, जो अग्नि से ब्याही गयी थी और पर्जन्य की माता थी । पुलस्त्य ऋषि के ज्येष्ठ पुत्र धीमान् दत्तालि ने अपनी पत्नी में सुजंघ प्रभृति बहुतेरे पुत्रों को उत्पन्न क्रिया; जो स्वायम्भुव मन्वन्तर में पौलस्त्य नाम से विख्यात थे ।२१-२४की । पुलह प्रजापति पत्नी क्षमा ने अनेक पुत्रों को प्रसव किया, जो अग्नितुरुप तेजस्वी ओर कीfतमान् थे ।२५नाम । उनके कंदंम, अम्बरीष और सहिष्णु थे। सहिष्णु का दूसरा नाम धनकपीवान् भी था । इनकी सुन्दरं भगिन का नाम पीवरी था। कर्दम की परनी अत्रिपुत्री श्रुति ने शङ्पाद नामक पुत्र और काम्या नाम की एक कन्या को फा०-२६