पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/२१९

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bp I७ ८ पाण्डोश्च पुण्डरीकायां द्युतिमानात्मजोऽभवत् । उपनौ द्युतिमन्तश्च सृजचानश्च तावुभौ तयोः पुत्राश्च पौत्राश्च भार्गवाणां परस्परम् । स्वायंभुवेऽन्तरेऽतीते मरीचेः शृणुत प्रजाः पत्नी मरीचेः संभूतिविजज्ञे साऽऽत्मसंभवम् । प्रजापतेः पूर्णमासं कन्याश्चेमा निबोधत ॥ कुष्टिः पृष्टिस्त्विषा चैव तथा चपचितिः शुभा । पूर्णमासः सरस्वत्यां द्वौ पुत्रावुदपादयत् । विरजं चैव धमिष्ठं पर्वसं चैव तावुभौ १० विरजस्याऽऽमजो विद्वान्सुधामा नाम विश्रुतः । सुधामसुत(तो)वैराजः प्राच्यां दिशि समाश्रितः ।।११ लोकपालः सुधर्मात्मा गौरीपुत्रः प्रतापवान् । पर्वसः सर्वगणनां प्रविष्टः स महायशाः १२ पवंसः पर्वसायां तु जनयामास वै सुतौ। यज्ञवामं च श्रीमन्तं सुतं कश्यपमेव च ॥ तयोगत्रकरौ पुत्रौ तौ जातौ धर्मनिश्चित १३ स्मृतिश्चाङ्गिरसः पत्नी जसे तावात्मसंभवौ । पुत्रौ फन्थाश्चतस्रश्च पुण्यास्ता लोकविश्रुताः ॥१४ सिनीवाली कुहूश्चैव राका चानुमतिस्तथा । तथैव भरतानि च कीतिमन्तं च तावुभौ १५ अग्नेः पुत्रं तु पर्जन्यं संहूती सुषुवे प्रभुम् । हिरण्यरोमा पर्जन्यो मारीच्यामुदपादयत् । आभूतसंप्लवस्थायी लोकपालः स वै स्मृतः १६ जज्ञे कीतिमतश्चापि धेनुका तावकल्मषौ । वरिष्ठं धृतिमन्तं चाप्युभावङ्गिरसां वरौ १७ द्युतिमान्द्युतिमन्त और सृजवान् नामक तीन पुत्र हुये । उनके बीच द्युतिमन्त और सृजचान् के पुत्रपत्रों ने भार्गवों से परस्पर सम्बन्ध स्थापित किया । इस प्रकार स्वायम्भुव मनु वे बीत जाने पर मरीचि का वंश विस्तार सुनिये ॥७-८। मरीचि की पत्नी सम्भूति ने पूर्णमास नामक पुत्र और सृष्टि, पृष्टि, त्विषा और अपचिति नामक कन्याओं को उत्पन्न किया थाहै। पूर्णमास ने सरस्वती के गर्भ से विरज और पवंस नामक दो पुत्रों को उत्पन्न किया । विरज को सुधामा नामक विद्वान् पुत्र हुआ । सुधामसुत वैराज ने प्राच्पदेवा का आश्रय लिया । गौरीपुत्र पर्वस सुधामक, प्रतापवान् और महायशस्वी हुये । लोकपाल होकर ये सर्वगण मे प्रविष्ट हुये ।१० १२पर्वस ने पर्वसा के गर्भ के यज्ञवास और कश्यप नामक धर्मनिर्णायक और वंश वृद्धि करने वाले दो पुत्रों को उत्पन्न किया। अङ्गिरा ने स्मृति के गर्भ से भरताग्नि और कीतिमान् नामक दो पुत्र और सिनीवाली, , राका एवं अनुमति नामक चार पुत्रियों को उत्पन्न किया ।१३१५। अग्नि को संहती से महाप्रलय पर्जन्य नामक पुत्र हुआ । फिर हिरण्यरोमा पर्जन्य ने मारीची के गर्भ से एक पुत्र उत्पन्न किया, जो तक रहने वाला लोकपाल हुआ ।१६। कीfतमान् ने धेनुका से वरिष्ठ भर द्युतिमान् नामक दो पुत्रों को उत्पन्न किया, जो दोनों ही आंगिरस श्रेष्ठ ये ।१७ इस दोनों को हजारों पुत्र-पौत्र हुये । अनसूया ने अत्रि