पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/१९३

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१७४ वायुपुराणम् (४ नमः कान्ताय सन्ध्याभ्रवर्णाय वायुरूपिणे।) नमः कपालहस्ताय दिग्वत्राय कपर्दिने ॥१२e अप्रमेयाय शर्वाय ह्यबध्याय वराय च । पुरस्तात्पृष्ठतश्चैव विभ्रान्ताय कृशानवे १३० दुर्गाय महते चैव रोधाय कपिलाय च । अर्कप्रभशरीराय बलिने रंहसाय च १३१ पिनाकिने प्रसिद्धाय स्फीताय प्रसृताय च। सुमेधसेऽक्षमालाय दिग्वासाय शिखण्डिने ॥१३२ चित्राय चित्रवर्णाय विचित्राय धराय च । चेकिसानाय तुष्टाय नमस्त्वनिहिताय च १३३ नमः क्षान्ताय शान्ताय वव्रसंहननाय च। रक्षोघ्नाय मखघ्नाय शितिकण्ठोर्ध्वरेतसे १३४ अरिहय कृतान्ताय तिग्मायुधधराय च । संमोदाय प्रमोदाय इरिण्यायैव ते नमः १३५ प्रणवप्रणवेशाय भक्तानां शर्मदाय च । मृगव्याधय दक्षाय दक्षयज्ञहराय च १३६ सर्वभूताय भूताय सर्वेशातिशयाय च । पुरक्षेत्रे च शान्ताय सुगन्धाय वरेषवे १३७ पूष्णो दन्तविनाशाय भगनेत्रान्तकाय च । कणादाय वरिष्ठाय कामाङ्गदहनाय च १३८ रवेः करालचक्राय नागेन्द्रदमनाय च । दैत्यानामन्तकायाथो दिव्यानन्दकराय च ॥१३६ श्मशानरतिनित्याय नमस्त्र्यम्बकधारिणे । नमस्ते प्राणपालाय धवमालाधराय च ॥१४० प्रहीणशोकं विविधैर्भूतैः परिष्टुताय च। नरनारीशरीराय देव्याः प्रियकराय च १४१ कपर्दी. अप्रमेय, शर्व, अवध्य, वर, पुरोभाग या पृष्ठ भाग से विभ्रान्त कृष्णनु महादुर्ग, रोध, कपिल, सूर्य की प्रभा की तरह शरीर वाले, वली, वेगवान, पिनाकी, प्रसिद्धस्फीत, प्रसृत, (विस्तृत ) सुमेधा, अक्षमाली, दिग्वस्र, शिखण्डी, चित्रवणं विभिन्न, घर, चेकितानतुष्ट और अनिहित हैं आपको नमस्कार है ।१२८-१३३ आप क्षान्त, शान्त, वङ्गप्रहरी, राक्षसविनाशी, यज्ञविनाशी, शितिकण्ठ, ऊर्ध्वरेता. शत्रुनाशी, कृतान्त. तीक्ष्ण आयुधधारी, संमोद, प्रमोद और हरिण्य ( शून्य ) है. आपको नमस्कार है ११३४१३५। आप प्रणव, प्रणवेश, भक्तों के सुखदाता, मृगयाशील, दक्ष, दक्षयज्ञविनाश, सर्वभूत, भूत सबसे अधिक पराक्रमी, पुर दैत्य को मारने वालेशान्त सुगन्च, वराभिलाषी, पूषा के दाँत को तोड़नेवाले, सूर्य के नेत्र को फोड़नेवाले, कणाद, वरिष्ठ, मदनदहन, सूर्य के कराल नामक चक्र, नागेन्द्रदमनकर्ता, देख्यों के विनाशी, दिव्य घोष करनेवाले, श्मशान में निरय रमण करने वाले और त्रिनेत्र है, आपको नमस्कार है। ।१३६-१३eई। आप प्राण पालक, घवलमालाधारी शोकविहीन विविध जीवो से स्तुत, नरनारी उभय शरीर वालेदेवी पार्वती के प्रियकारक , जटाधारी दण्डधारी, साँप का यीपवीत धारण करने वाले, नाचने वाले x धनुश्चिह्न्तर्गत ग्रन्यो क. पुस्तके नास्ति ।