पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/१९१

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१७२ वायुपुराणम् ११०५ १०६ १०७ १०८ १०६ ११० पितृणां पतये चैव पशूनां पतये नमः । वाग्वूपाय नमस्तुभ्यं पुराणवृषभाय च सुचारुचारुकेशाय ऊध्र्वचक्षुःशिराय च। नमः पशूनां पतये गोवृषेन्द्रध्वजाय च प्रजापतीनां पतये सिद्धानां पतये नमः। (*दैत्यदानवसंघानां रक्षसां पतये नमः गन्धर्वाणां च पतये यक्षाणां पतये नमः) । गरुडोरगसर्पाणां पक्षिणां पतये नमः गोकर्णाय च गोष्ठाय शङ्कुकर्णाय वै नमः । वराहयाप्रमेवाय रक्षोधिपतये नमः नसोऽप्सराणां पतये गणानां पतये नमः । अम्भसां पतये चैव तेजसां पतये नमः नमोऽस्तु लक्ष्मीपतये श्रीमते हिमते नमः। बलाबलसमूढाय हकोम्पक्षोभणाय च दीर्घशृङ्गेकशृङ्गाय वृषभाय काझुम्मिने । नमः स्थैर्याय वपुषे तेजसे सुप्रभाय च भूताय च भविष्याय वर्तमानाय वै नरः। सुवर्चसेऽथ वीराय शूरा ह्यतिगाय च वरदाय बरेण्याय नमः सर्वगताय च। नमो भूताय भव्याय भवय महते तया सर्वाय महतेऽजाय नमः सर्वगताय च । जनाय च नमस्तुभ्यं तपसे वरदाय च । नमो वन्द्याय मोक्षय जनाय नरकाय च १११ ११२ ११३ ११४ ११५ है। आप पितृपति और पशुपति है, आपको नमस्कार है । आप ववृष और पुराण वृषभ हैं, आपको नमस्कार है ।€ 8१०५। आप सुचारु सुन्दर केशवाले, कद्वचक्षुमठं व शिखावाले पशुपति और वृषभध्वज हैं, अपको नमस्कार है। आप प्रजापतियों के पति, सिद्धो के पति, देव-दानव और राक्षसों के पति हैं, आपको नमस्कार है । आप गन्धर्वपति, यक्षपति एवं गरुड़, सर्प और पक्षियों के पति है, आपको नमस्कार है । |१०६१०८। आप गोकर्ण, गोष्ठ, शङ्कुकर्ण वराह अप्रमेय और रक्षोधिपति हैं, आपको नमस्कार है । आप अप्सराओ के पति, गणो के पति तथा जल और तेज के पति हैं, आपको नमस्कार है ।१०६-११०। आप लक्ष्मीपति, शोभा सम्पन्न और लज्जायान् हैं, आपको नमस्कार है। आप वलाबल समूह अक्षोभ्यक्षोभण, दीर्घभृङ्गकशुङ्ग वृषभ और कमुद ( वृषभ स्कन्घ ) वाले है, आपको नमस्कार है । आप स्थिर रहने वाले वपुधारी और अति प्रभाणाली है, आपको नमस्कार है। आप भूत, भविष्यत् और वर्तमान हैं, आप तेजस्वी शूर, वीर और अनतिक्रमणीय हैं, आपको नमस्कार है ।१११-११३। आप वरद, ( श्रेष्ठ ) वरेण्य और सर्वगत है, आपको नमस्कार है। आप भूत, भCप. भव और महन् है, आपको नमस्कार है। । आप सव , महान , अज और सर्व गत है, आपको नमस्कार है । अप जन, तपः ओर वरद है, आपको नमस्कार है । आप वन्दनीय, मोक्ष जन और नरक हैं, आपको नमस्कार है ।११४-११५। आप भय, भजमान, दृष्ट याजक,

  • धनुश्चिदंतर्गतग्रन्थो क. पुस्तके नास्ति ।