पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/१९०

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चतुविंशोऽध्यायः १७१ ॥४ ६७ नमस्ते ह्यस्मदादीनां भूतानां प्रभवाय च। वेदकर्मावदातानां द्रव्याणां प्रभवे नमः ’ ग्रहाणां प्रभवे चैन ताराणां प्रभवे नमः। ॐ नमो योगस्य प्रभवे सांख्यस्य प्रभवे नमः । नमो ध्वनिशीथानामृषीणां पतये नमः ) १६५ विद्युदशनिमेघानां गजतप्रभवे नमः। उदधीमां च प्रभवे द्वीपानां प्रभवे नमः ६६ अद्रीणां प्रभवे चैन वर्षाणां प्रभवे नमः। नमो नदानां प्रभवे नदीनां प्रभवे नमः नमश्वौषधिप्रभवे वृक्षाणां प्रभवे नमः। धर्माध्यक्षाय धर्माय स्थितीनां प्रभवे नमः ।।८ नमो रसानां प्रभवे रत्नानां प्रभवे नमः। नमः क्षणानां प्रभवे कलानां प्रभवे नमः && निमेषप्रभवे चैव काष्ठानां प्रभवे नमः। अहोरात्रार्धमासानां मासानां प्रभवे नमः ॥१०० नम ऋतूनां प्रभवे संख्यायाः प्रभवे नमः । प्रभवे च परार्धस्य परस्य प्रभवे नमः १०१ नमः पुराणप्रभवे युगस्य प्रभवे नमः । चतुवधस्य सर्गस्य प्रभवेऽनन्तचक्षुषे १०२ कल्पोदयनिबद्धानां वर्तानां प्रभवे नमः। नमो विश्वस्य प्रभवे ब्रह्मादिप्रभवे नमः ॥१०३ विद्यानां प्रभवे चैव विद्यानां पतये नमः। नमो व्रतानां पतये मन्त्राणां पतये नमः १०४ धनेश और स्वर्ण । चीराम्बरधारी है, आपको नमस्कार है । आप हम भूतों के प्रभव और वेदकर्मा के समान शुभ द्रव्यों के प्रभु है, आपको नमस्कार है। आप ग्रहों और ताराओं के प्रभु हैं. आपको नमस्कार है। आप योग के प्रभुसांख्य के प्रभु एवं ध्रुव और निशीथ आदि ऋषियों के पति हैं, आपको नमस्कार है ।€ ३-६५ आप विद्युत्. वचा मेघ ओर गर्जन के जनक हैं, आपको नमस्कार है। आप समुद्र और द्वीपों के प्रभु हैं, आपको नमस्कार है। आप पर्वत और वर्षा के प्रभव है, आपको नमस्कार है । आप नद और नदी के उत्पत्ति स्थान हैं, आपको नमस्कार है । आप औषधि ओर वृक्षों के उत्पादक है, आपको नमस्कार है । आप रसं और सम्पूर्ण रत्नों के उत्पादक हैं, आपको नमस्कार है ! आप धर्माध्यक्ष धर्म और स्थिति के प्रभु है, आपको नमस्कार है ।६-८८३। आप क्षण कला, निमेष, काष्ठ, अहोरात्र, अर्धमास और मास के प्रभव है, आप- को नमस्कार है। आप ऋतु और परा-परार्दू आदि सख्या के सृष्टिकर्ता है, अपको नमस्कार है, आप पुराण, युग और चतुविधि सर्गों के जनक है, आप अनन्तचक्षु है, आपको नमस्कार है। आप कल्पादि से संबद्ध घटनाओं के कारण है. आप विश्व और ब्रह्मादि के भी जनक है. आपको नमस्कार है । आप विद्या के आदि कारण ओर विद्या के पति हैं, आपको नमस्कार है । आप व्रतों और मन्त्रों के पति हैं, आपको नमस्कार ने इदमठं क. ख. ग. पुस्तकेषु नस्ति । x धनुश्चिह्न्तर्गतग्रन्थो ङ. पुस्तकें नास्ति ।