पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२६९

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भाषाटीकासमेता । गुप्तंकार्य्यमिदमेसिद्धयतिलग्नेश्वरेथचंद्रमास ॥ भमुशिल केंद्रेत कटेवाथसिद्धिः स्यात् ॥ ६ ॥ मेरा गुप्त कार्य्य सिद्ध होगा वा नहीं, ऐसे प्रश्नमें लग्नेश तथा चंद्रमा शुभ ग्रहसे मुथशिली केंद्र में वा उसके समीप हों तो गुप्त कार्य सिद्ध होगा ॥ ६ ॥ ग्रंथांतरेसमर्घचिंता । (२६१ ) मेषे षेचमिथुनेशुभयुक्तदृष्टेनग्रैष्मिकंतुसुलभंभवतिपृथिव्याम् ॥ सौम्यै नुमृग घटेषुचशारदीयं यत्समम शुभैः सहितोमहर्घम् ॥ ७॥ शुभ ग्रह युक्त दृष्ट १ । २।३ राशि हों तो ग्रीष्म ऋतुकी फसल, और ९ | १० | ११ में हों तो शरद् ऋतुकी फसल अच्छी होगी. लग्न लग्नेश और चंद्रमा शुभयुक्त दृष्ट हों तो सुकाल ( समय अच्छा ) होगा और अशुभ ग्रहोंसे युक्त हो तो महर्घता होवे ॥ ७ ॥ लग्नेबलाढ्येनिजनाथसौम्यैर्युक्तेक्षितेकेंद्रगतैः भैश्च || सर्वैः समर्घं विबलैर्विलोकेंद्रे पापैः सकलंत्वनर्धम् ॥ ८ ॥ लग्न बलवान् स्वस्वामि शुभयुक्त दृष्ट हो केंद्रोंमें शुभ ग्रह हों तो सुकाल, जो लग्न निर्बल केंद्रों में पाप हों तो अन्नका काल होवे इस भाव में लाभ विषय- विचार विशेष है वह धनभाव में कहा है वही यहां भी जानना ॥ ८ ॥ इति श्रीमही • नीलकण्ठीभा० लाभभावप्रश्ननिरूपणम् ॥ ११ ॥ अथ द्वादशस्थानप्रश्नः । र विग्रहपृच्छायांबलवतिषष्ठेरि : सबलः || द्वादशपेशुभदृष्टेबलवतिवाच्यं भंप्रष्टुः ॥ १ ॥ शत्रुसे युद्धके प्रश्नमें छठास्थान बलवान् हो तो शत्रु बलवान् होवे जो व्ययेश शुभदृष्ट तथा बलवान् हो तो प्रष्टाको शुभ होगा ॥ १ ॥ .. शुभयुतदृष्टेसद्व्ययोऽशुभेक्षणयोगतोव्ययमनर्थात् ॥ एवंभावेष्वखिलेषूह्यं सदसत्फलंसुधिया ॥ २ ॥ व्ययेश शुभग्रहसे युक्त दृष्ट हो तो शुभकार्य्य में पापयुक्त दृष्ट हो तो अशुभ कामें अनर्थ व्यय होगा. इसीप्रकार समुद्धिवालोंने समस्त भावोंका शुभा- शुभ फल कहना ॥ २ ॥