"ऋग्वेदः सूक्तं १.२०" इत्यस्य संस्करणे भेदः
Content deleted Content added
No edit summary |
No edit summary |
||
पङ्क्तिः १: | पङ्क्तिः १: | ||
अयं देवाय जन्मने सतोमो विप्रेभिरासया | |
अयं देवाय जन्मने सतोमो विप्रेभिरासया | |
||
अकारि रत्नधातमः || |
अकारि रत्नधातमः || |
||
य इन्द्राय वचोयुजा ततक्षुर्मनसा हरी | |
य इन्द्राय वचोयुजा ततक्षुर्मनसा हरी | |
||
शमीभिर्यज्ञमाशत || |
शमीभिर्यज्ञमाशत || |
||
तक्षन नासत्याभ्यां परिज्मानं सुखं रथम | |
तक्षन नासत्याभ्यां परिज्मानं सुखं रथम | |
||
तक्षन धेनुं सबर्दुघाम || |
तक्षन धेनुं सबर्दुघाम || |
||
युवाना पितरा पुनः सत्यमन्त्रा रजूयवः | |
युवाना पितरा पुनः सत्यमन्त्रा रजूयवः | |
||
रभवो विष्ट्यक्रत || |
रभवो विष्ट्यक्रत || |
||
सं वो मदासो अग्मतेन्द्रेण च मरुत्वता | |
सं वो मदासो अग्मतेन्द्रेण च मरुत्वता | |
||
आदित्येभिश्च राजभिः || |
आदित्येभिश्च राजभिः || |
||
उत तयं चमसं नवं तवष्टुर्देवस्य निष्क्र्तम | |
उत तयं चमसं नवं तवष्टुर्देवस्य निष्क्र्तम | |
||
अकर्तचतुरः पुनः || |
अकर्तचतुरः पुनः || |
||
ते नो रत्नानि धत्तन तरिरा साप्तानि सुन्वते | |
ते नो रत्नानि धत्तन तरिरा साप्तानि सुन्वते | |
||
एकम-एकंसुशस्तिभिः || |
एकम-एकंसुशस्तिभिः || |
||
अधारयन्त वह्नयो.अभजन्त सुक्र्त्यया | |
अधारयन्त वह्नयो.अभजन्त सुक्र्त्यया | |
||
भागं देवेषु यज्ञियम || |
भागं देवेषु यज्ञियम || |
||
*[[ऋग्वेद:]] |
*[[ऋग्वेद:]] |
१९:४९, २६ मार्च् २००५ इत्यस्य संस्करणं
अयं देवाय जन्मने सतोमो विप्रेभिरासया | अकारि रत्नधातमः ||
य इन्द्राय वचोयुजा ततक्षुर्मनसा हरी | शमीभिर्यज्ञमाशत ||
तक्षन नासत्याभ्यां परिज्मानं सुखं रथम | तक्षन धेनुं सबर्दुघाम ||
युवाना पितरा पुनः सत्यमन्त्रा रजूयवः | रभवो विष्ट्यक्रत ||
सं वो मदासो अग्मतेन्द्रेण च मरुत्वता | आदित्येभिश्च राजभिः ||
उत तयं चमसं नवं तवष्टुर्देवस्य निष्क्र्तम | अकर्तचतुरः पुनः ||
ते नो रत्नानि धत्तन तरिरा साप्तानि सुन्वते | एकम-एकंसुशस्तिभिः ||
अधारयन्त वह्नयो.अभजन्त सुक्र्त्यया | भागं देवेषु यज्ञियम ||