"ऋग्वेदः सूक्तं १.९" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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सुते-सुते नयोकसे बर्हद बर्हत एदरिः | |
सुते-सुते नयोकसे बर्हद बर्हत एदरिः | |
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इन्द्राय शूषमर्चति || |
इन्द्राय शूषमर्चति || |
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*[[ऋग्वेद:]] |
२०:१८, ९ अक्टोबर् २००४ इत्यस्य संस्करणं
इन्द्रेहि मत्स्यन्धसो विश्वेभिः सोमपर्वभिः | महानभिष्टिरोजसा || एमेनं सर्जता सुते मन्दिमिन्द्राय मन्दिने | चक्रिं विश्वानि चक्रये || मत्स्वा सुशिप्र मन्दिभिः सतोमेभिर्विश्वचर्षणे | सचैषुसवनेष्वा || अस्र्ग्रमिन्द्र ते गिरः परति तवामुदहासत | अजोषा वर्षभं पतिम || सं चोदय चित्रमर्वाग राध इन्द्र वरेण्यम | असदित ते विभु परभु || अस्मान सु तत्र चोदयेन्द्र राये रभस्वतः | तुविद्युम्न यशस्वतः || सं गोमदिन्द्र वाजवदस्मे पर्थु शरवो बर्हत | विश्वायुर्धेह्यक्षितम || अस्मे धेहि शरवो बर्हद दयुम्नं सहस्रसातमम | इन्द्र ता रथिनीरिषः || वसोरिन्द्रं वसुपतिं गीर्भिर्ग्र्णन्त रग्मियम | होम गन्तारमूतये || सुते-सुते नयोकसे बर्हद बर्हत एदरिः | इन्द्राय शूषमर्चति ||