"ऋग्वेदः सूक्तं १.२" इत्यस्य संस्करणे भेदः
Content deleted Content added
from sa.wp |
ऋग्वेदः, ॥, । |
||
पङ्क्तिः १: | पङ्क्तिः १: | ||
'''ऋग्वेद: सूक्तं १.२''' |
'''ऋग्वेद: सूक्तं १.२''' |
||
<pre style="background: #ffffff; border: 1px solid #303030; padding-left: 2em; margin: 0em;"> |
|||
वायवा याहि दर्शतेमे सोमा अरंक्र्ताः |
वायवा याहि दर्शतेमे सोमा अरंक्र्ताः । |
||
तेषां पाहि शरुधी हवम |
तेषां पाहि शरुधी हवम ॥ |
||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
</pre> |
|||
* [[ऋग्वेदः]] |
|||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
⚫ | |||
*[[ऋग्वेद:]] |
१३:५७, १ एप्रिल् २००५ इत्यस्य संस्करणं
ऋग्वेद: सूक्तं १.२
वायवा याहि दर्शतेमे सोमा अरंक्र्ताः । तेषां पाहि शरुधी हवम ॥ वाय उक्थेभिर्जरन्ते तवामछा जरितारः । सुतसोमा अहर्विदः ॥ वायो तव परप्र्ञ्चती धेना जिगाति दाशुषे । उरूची सोमपीतये ॥ इन्द्रवायू इमे सुता उप परयोभिरा गतम । इन्दवो वामुशन्ति हि ॥ वायविन्द्रश्च चेतथः सुतानां वाजिनीवसू । तावा यातमुप दरवत ॥ वायविन्द्रश्च सुन्वत आ यातमुप निष्क्र्तम । मक्ष्वित्था धिया नरा ॥ मित्रं हुवे पूतदक्षं वरुणं च रिशादसम । धियं घर्ताचीं साधन्ता ॥ रतेन मित्रावरुणाव रताव्र्धाव रतस्प्र्शा । करतुं बर्हन्तमाशाथे ॥ कवी नो मित्रावरुणा तुविजाता उरुक्षया । दक्षं दधाते अपसम ॥