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पृष्ठम्:स्फुटचन्द्राप्तिः.djvu/४८

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58 59. 60. 61. 62 . 63 . 64 . 65. 66. 67 68. 69. 70 . 71. 72 . 73 . 74 75 . 76 . 77 . 78 . 79. 80 . 81. 82 . गरळं नोपयञ्ज्यात गोमानलं गरीयान सुग्रीवोऽनन्तनिष्ठ :1 प्राज्ञो रामो दैत्यारि : प्रशाभाशया नागा: चपलः कामपाल: वाग्मी तु वादरागी गङ्गा भागीरथ्यभूत् तपस्वीगतिरूध्र्वम जरद्भवोऽनुद्यम सूनुर्धामाभरणम् गुणोऽसूया धनिषु विकृता गौडरीति: लघुर्न मैथुनेच्छा' प्रानन्दमयो रस: कल्यः शिशुर्मनुज : वढधीलब्धपद लीना प्रापोऽम्बुनिधौ। क्षामवारिस्तोयधि भाग्यविरोधः क्रोधात् धरा हीनाश्रया नित्यम् जनोऽन्धो गत्वरो नश्येत् मुकुन्दान्मोक्ष उपेयः श्रा गोहीनोऽधिकः पटुः ज्ञानी गाग्यय 1. D. सुखी वनितानिष्ठ 3. D. [बालरीतिः 5. B. गागोंऽयम् Sphuta-7 3 4 5 5 6 8 9 9 10 10 11 11 Bhaga 23 18 28 12 26 10 24 9 23 21 19 16 29 12 24 6 19 30 52 54 13 46 34 34 43 59 17 36 50 58 55 39 10 24 24 8 39 58 8 13 2. D. राज्ञां 4. D. गावोऽनुशासनस्थाः 23 53 27 50 54 33 16 28 53 14 43 11 48 56 14 29 15 30 49