पृष्ठम्:स्वराज्य सिद्धि.djvu/५२

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स्वाराज्य सिद्धिः

क्रिया रहित श्रणुओं से किस प्रकार देह संगठित

होता है ? देहादि से अभिन्न देह रूप परमाणु राशी

इंद्रियों को अविषय होने से कैसे प्राप्त होगी ? भूतभौतिक

संघ को कौन रचेगा ? स्कंधों का संघ कैसे होगा ? किन

स्कंधों में भोकृता है? धारा भी क्या है ? भोग मोक्ष

किसका होगा ? हे जड़ तू कह, तेरे शास्र में किस फल'

से किस प्रकार की सफलता है ? अर्थात् तेरा शास्त्र

निष्फल है ॥२३॥

(चलनविरहिणाम्) कारण के असंभव से क्रिया से रहित (भंगुराणाम्) और चक्षणिक भाव होने से क्रियोत्पत्ति क्षण में अस्थायि (अण्णूनां कथं वा ) परमाणुओं का किस प्रकार २स देह आदिक रूपतया ( संघीभावः) संघीभाव है अर्थात् समुदाय रूप होकर घनीभाव है और तेरे मत में (अनन्य:) परमाणुओं से श्रभिन्न ( संघ:) देह आदि रूप परमाणु राशि (विषयपदम् ) परमाणुओं को इन्द्रियों की विषयत्वता के अयोग्य होने पर इन्द्रियों की विषयता को (कथं इयात्) कैसे प्राप्त होवेगी ? फिर तेरे मत में देहादिक संघात से भिन्न किसी चेतन का स्वीकार न होने से (संघम्) भूत भौतिकों के संघ को (क: विधत्ते) कौन रवेगा ? स्कंधों का संघ भूत भौतिकों के संघ को रचेगा यह भी तू कहने को समर्थ नहीं, क्योंकि स्कंधों के संघ को भी अन्य कर्ताकी अपेक्षा समान ही है, इस तात्पर्यसे कहता है केि (स्कंधानां सन्निपातः कथमिव ) स्कंधों का संघ भी किस प्रकार से होगा ? क्योंकि स्कंधों के संघ को भी अन्य कर्ता चाहिये । तेरे मत में समुदायरूप संघ अवयवों से अभिन्न होने से पांचों स्कंधों में से