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पृष्ठम्:संस्कृतनाट्यकोशः.djvu/९८

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अर्थपञ्चक नाटक (३१ ) अवन्ति सुन्दरी नाटिका के नायक हैं जिसकी रचना इनके गुरु मदनवालसरस्वती ने की थी। पारिजातमञ्जरी का दूसरा नाम विजयी है। इसमें इनकी वीरता और प्रेम लीला को नाट्य विषय बनाया गया है। इन्होंने गुजरात के चालुम्य वंशीय भीमदेव को युद्ध में पराजित किया था और उनकी पुत्री पारिजातमञ्जरी से विवाह किया था। अर्थपञ्चक नाटक- (ना.कृ) यह पांच अंकों का नाटक है जिसके लेखक का नाम ज्ञात नहीं है। इसका विषय वर्णन है- तंजौर जिला के कृष्णपुरम में जिस सौरीराज देवता की पूजा होती है उनके यहां मन्मथ का किस प्रकार जन्म हुआकिस प्रकार शम्बरा सुर ने उसे समुद्र में फेंक दिया। किस प्रकार शम्बर के नौकरों ने मछली के पेट में बच्चे को प्राप्त किया; किस प्रकार शम्बर की पुत्री जो वास्तव में रति का अवतार थी उस बच्चे पर आसक्त हो गईउसे भली भांति पाला पोसा और अन्त में उससे विवाह कर लिया। इस नाटक में ५ तत्वों को नाटकीयरूप प्रदान किया गया है- चिन्ता, योग, समारम्भ, व्यापारहेतुदर्शन और अभीष्टलाभ चिन्तायोगसमारम्भो व्यापारो हेदुदर्शनम् । अभीष्टलाभ इत्यर्थपञ्चकं नाटकीकृतम् । इसीलिये इस नाटक का नामकरण अर्थपञ्चक किया गया है। मद्रास की ओरियण्टल लायब्ररी की संस्कृत पाण्डुलिपियों की विवरणात्मक सूची में इसका उल्लेख XXI ८८७७ पर किया गया है। अलका- (ना.पा) महावीर चरित में अलका नागरी का मानवीकृत रूप। वह और लंका (मानवीकृत) के प्रति संवेदना प्रकट करने उस वक्त आती है जब लंका का युद्ध समाप्त हो चुका है और रावण मारा गया है। अवकीर्णकौशिकम्- नाक) नारायणशास्त्री (१) (दे) लिखित १० अंकों का नाटक । अवधानसरस्वती- (ना.का) ये काशी के निवासी थे। इनका लिखा शृङ्गारमञ्जरी (दे) शीर्षक भाण तंजोर के राज पुस्तकालय में सं. VII ३५९९ पर संकलित किया गया अवन्तिका- (ना.पा) स्वनवासवदत्तम् में यौगन्धरायण ने वासवदत्ता को इस नाम से पद्मावती के पास धरोहर के रूप में रख दिया था। अवन्तिसुन्दरी- नाक) राजशेखर की पत्नी; इनका लिखा इसी नाम का प्रेक्षणक (दे) प्रकाश में आया है। (१) अवन्तिसुन्दरी- (ना.कृ) यह एक प्रेक्षणक (दे.) है । इसकी रचना राजशेखर की पत्नी अवन्तिसुन्दरी ने की थी। इसका विषय है पतिपत्नी में काव्य के अर्थ प्रहण पर वादविवाद ।