पृष्ठम्:श्रीविष्णुगीता.djvu/१७

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् परिष्कृतम् अस्ति

________________

विशेष विज्ञापन । (१) श्रीसूर्यगीता । RPIT(२) श्रीशक्तिगीता | श्रीविष्णुगीता। मालिIRPO(४) श्रीधीशगीता । Hafnp माना(५) श्रीशम्भुगीता। ये पांचों गीताएँ जो आजतक अप्रकाशित थीं विशुद्ध हिन्दी अनुवाद सहित प्रस्तुत हुई हैं। इनमें से प्रथम तीन गीताएँ छप चुकी हैं और शेष दो छप रही हैं । यद्यपि इन पांचों गीताओ से प्रत्येक गीता अपने अपने उपासक सम्प्रदायों ( सौर्य शाक्त वैष्णव गाणपत्य और शैव सम्प्रदायों ) केलिये परमआवश्यकीय हैं परन्तु उपनिषदोंका सार होनेके कारण और प्रत्येक में वेदके गंभीर रहस्य अलग अलग रहने के कारण प्रत्येक सम्प्रदायके उपासकों को इन पांचों गीताओंको तथा श्रीगुरुगीताको अवश्य पढ़ना उचित है। सनातन धर्म के सब प्रधान रहस्य इन पांचों गीताओंमें पाये जाते हैं । धर्मजिज्ञासुओंको अवश्य इन गीताओंका पाठ करना उचित है। श्रीगुरुगीताभी भाषानुवाद सहित छप चुकी है। सब प्रकारके साधुसम्प्रदायोंको तो उक्त गुरुगीता और सन्न्यासगीता अवश्यही पढ़नी चाहिये । सन्न्यासगीता भी भाषानुवाद सहित छप चुकी है। मैनेजर निगमागम बुकडीपो ETI श्रीमहामण्डल भवन जगत्गंज बनारस। POMEागा -