पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९७६

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नवनवतितमोऽध्यायः सातकणिर्वर्षमेकं भविष्यति नराधिपः । + चकार शातर्काणिस्तु षण्मासान्वै नराधिपः || अष्टाविंशत्तु वर्षाणि शिवस्वामी भविष्यति ॥३५४ राजा च गौतमीपुत्र एक विशस्तमा नृषु | एकोनविंशति राजो यज्ञश्रीः सातकर्ण्यथ ॥३५५ षडेव भविता तस्मा विजयस्तु समा नृपः । दण्डश्रीः सातकर्णी च तस्य पुत्रः समास्त्रयः ? ) ॥३५६ पुलोवाऽपि समाः सप्त अन्येषां च भविष्यति । इत्येते वै नृपास्त्रिशदन्घ्रा भोक्ष्यन्ति ये महीम् ॥३५७ समाः शतानि चत्वारि पञ्च षड्वै तथैव च । अन्ध्राणां संस्थिताः पञ्च तेषां वंशाः समाः पुनः ॥ ३५८ सप्तैव तु भविष्यन्ति दशाऽऽभीरास्ततो नृपाः । सप्त गर्दमिनश्चापि ततोऽन्ये दश वै शकाः भवनाष्टौ भविष्यन्ति तुषारास्तु चतुर्दश | त्रयोदश मेनण्टाश्च मौना ह्यष्टादशैव तु अन्ध्रा भोक्ष्यन्ति वसुधां शते द्वे च शतं च वै । शतानि त्रीण्यशीतिं च भोक्ष्यन्ति वसुधा शकाः ॥ ३६१ अशीति चैव वर्षाणि भोक्तारो यवना महोम् | [पञ्चवर्षशतानीह तुषाराणां मही स्मृता 'शतान्यर्धचतुर्थानि भवितारस्त्रयोदेश | मरुण्डा वृषलैः सार्धं भाव्याऽन्या म्लेछजातयः ॥३५६ ॥३६० ॥३६२ ॥३६३ और छः मास तक राज्य करेगा | तदनन्तर मट्ठाईस वर्ष तक शिवस्वामी नामक एक राजा होगा | ३५०-३५४॥ फिर मौतमीपुत्र मनुष्यों में इक्कीस वर्ष तक राज्य करेगा। तदनन्तर सातकर्णी वंशोत्पन्न राजा यज्ञश्री उन्नीस वर्षों के लिये, राजा होगा। उसके बाद विजय नामक राजा छः वर्षतक राज्य करेगा। उसके बाद उसका पुत्र सातकर्णी दण्डश्री तीन वर्ष तक राज्य करेगा। फिर पुलोवा नामक राजा होगा, जो सात वर्षों तक पृथ्वी पर राज्य करेगा । इन राजाओं के अतिरिक्त अन्यान्य राजाओं का भी पृथ्वी पर राज्य होगा। उपर्युक्त अन्ध्र वंशीय तेईस राजा होंगे, जो पृथ्वी का उपभोग करेंगे। उन सब का राजत्वकाल कुल मिलाकर चार सौ ग्यारह वर्ष का होता है । ये अन्ध्रवंशीय राजा लोग पाँच वंशों में विभक्त हो जायेंगे ।३५५-३५८ | उनके बाद सत्रह आभीर वंशीय राजाओं का शासनकाल आयेगा, फिर सात गर्दमिन वंशीय और दस शक- वंशीय राजा होंगे । तदनन्तर आठ यवन, चौदह तुषार वंशीय, तेरह मेनण्ट, और अट्ठारह मौन वंश में उत्पन्न होनेवाले राजा राज्य करेंगे । आन्ध्र वंशीय राजा लोग तीन सौ वर्षो तक राज्य करेंगे । शक लोग तीन सौ अस्सी वर्षो तक पृथ्वी का उपभोग करेंगे । ३५६-३६१। यवन लोग अस्सी वर्षों तक राज्य करेंगे । तुषारवंशीय राजा लोग पाँच सौ वर्षों तक पृथ्वी का राज्य करेंगे | तेरह मरुण्ड वंशीय राजागण अन्य शूद्र जातीय राजाओं के साथ साढ़े चार सो वर्षों तक पृथ्वी का उपभोग करेंगे। उस समय अनेके म्लेच्छ जातियाँ होंगी। उनमें से ग्यारह म्लेच्छ + एतदर्धं क. ग. घ. पुस्तकेषु नास्ति । * एतदनन्तरं ख. ग. घ. पुस्तकेष्वधिकः श्लोक उपलभ्यते स यथा 'सृप्तषष्टि च वर्षाणि दशाऽऽभी रास्ततो नृपाः । सप्तगर्दभिनश्चैव भोक्ष्यन्तीमां द्विसप्ततिः' । इति ।