पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/५८९

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५६८ बायुपुराण दर्शश्च पौर्णमासश्च बृहद्यच्च रथंतरम् | चित्तिश्चैव विचित्तिश्च आकृतिः कूतिरेव च विज्ञाता वैव विज्ञातो सनो यज्ञश्च ते स्मृताः । नामान्येतानि तेषां वै जयानां प्रथितानि च ब्रह्मशापेन ते जाताः पुनः स्वायंभुवे जिताः । स्वारोचिषे व तुषिताः सत्याश्चैवोत्तमे पुनः तामसे हरयो नाम वैकुण्ठा रैवतान्तरे | साध्याश्च चाक्षुषे नाम्ना छन्दजा जज्ञिरे सुराः धर्मपुत्रा महाभागाः साध्या ये वादशामराः । पूर्व स्त्र अनुसूयन्ते चाक्षुषस्यान्तरे मनोः स्वारोचिषेऽन्तरेऽतीता देवा ये वै सहौजसः । तुषिता नाम तेऽन्योन्यमूचुर्वे चाक्षुषेऽन्तरे किंचिच्छिण्डे तदा तस्मिन्देवा वै तुषिताऽब्रुवन् । इतरेतरं महाभागान्वयं साध्यान्प्रविश्य वै || मन्वन्तरे भविष्यामस्तन्नः श्रेयो भविष्यति एवमुक्त्वा तु ते सर्वं चाक्षुषस्थान्तरे सनोः । तस्माद्द्वादश संभूता धर्मात्स्वायंभुवात्पुनः नरनारायणौ तत्र जज्ञाते पुनरेव हि । निपश्चिदिन्द्रो यश्चाऽऽसोत्तथा सत्यो हरिश्च तो ॥ स्वारोचिषेऽन्तरे पूर्वमास्तां तौ तुषितौ सुरो तुषितानां तु साध्यत्वे नामान्येतानि वक्ष्यते । मनोऽनुमन्ता प्राणश्च नरो यानश्च वीर्यवान् ॥६ ॥७ ॥८ ॥ह ॥१० ॥११ ॥१२ ॥१३ ॥१४ ॥१५ ● । देवगणों के नाम इस प्रकार है । दर्श, पौर्णमास, वृहत् रथन्तर, चित्ति, विचित्त, आकूति, कृति, विज्ञाता, विज्ञात, मन और यज्ञ । ये हो उन जम देवगणों के नाम है। वे जय नामक देवगण ब्रह्म-शाप के कारण पुन स्वायम्भुव मन्वन्तर मे जित नाम से उत्पन्न होते हैं। स्वारोचिष मन्वन्तर मे तुषित नाम से तथा उत्तम मन्वन्तर में सत्य नाम से वे पुनः आविर्भूत होते है |५-८॥ तामस मन्वन्तर मे वे हरि तथा रैवत मन्वन्तर मे वैकुण्ठ नाम से प्रसिद्ध होते हैं । इसी प्रकार चाक्षुष मन्वन्तर में वे छन्दोज देवगण साध्य नाम से उत्पन्न होते हैं | महाभाग्यशाली धर्म के पुत्र ने बारह देवगण चाक्षुष मन्वन्तर के पूर्वकाल में उत्पन्न हुए | स्वारोचिष मन्वन्तर मे उत्पन्न होनेवाले उन अतीत कालीन तुषित नामक महान् तेजस्वी देवगणो ने उस समय जब कि स्वारोचिप मम्वन्तर की अवधि थोड़ी शेष रह गई थी, आपस मे यह परामर्श किया कि हम लोग परस्पर एक मे सन्निहित होकर आगामी चाक्षुष मन्वन्तर मे साध्य नाम से जन्म ग्रहण करेंगे, जिससे हम लोगो का कल्याण होगा |६-१२। आपस में ऐसा परामर्श निश्चित कर वे पुनः चाक्षुष मन्वन्तर में स्वयम्भू के पुत्र धर्म के यहाँ नारह पुत्रो के रूप में उत्पन्न हुए। उस स्वारोचिप मन्वन्तर मे नर और नारायण भी पुनः जन्म ग्रहण करते हैं। उनमें विपश्चित् नाम से इन्द्र तथा सत्य नाम से हरि को प्रसिद्धि होती है । उक्त मन्वन्तर मे वे जन्म ग्रहण करने दोनो तुपित नामक देवगणों मे सम्मिलित थे | उन तुपित नामक देवगणों का साध्य नाम पर जो-जो नाम विख्यात हुआ, उसका वर्णन कर रहा । मन, अनुमन्ता, प्राण, नर, यान, चित्ति, हय, नय,