पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/५६७

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५४६ वायुपुराणम् आदित्या यसवो रुद्राः साध्या विश्वे मरुद्गणाः । भृगवोऽङ्गिरसश्चैव ह्यष्टो देवगणाः स्मृताः आदित्या नरुतो रुद्रा विज्ञेयाः कश्यपात्मजाः | साध्याश्च वसवो विश्वे धर्मपुत्रास्त्रयो गणाः भृगोस्तु भार्गवो देवो ह्यङ्गिरोऽङ्गिरसः सुतः । वैवस्वतेऽन्तरे ह्यस्मिशित्यं ते छन्दजाः सुराः ॥

  • एतेऽपि च गमिष्यन्ति महतः कालपर्ययात्

एष मार्गस्तु मारीचो विज्ञेयः सांप्रतः शुभः । तेजस्वी सांप्रतस्तेपामिन्द्रो नाम्ना महाबलः अलीतानागता ये च वर्तन्ते ये च सांप्रतम् । सर्वे मन्वन्तरेन्द्रास्तु विज्ञेयास्तुल्यलक्षणाः भूतभव्यभवन्नाथाः सहस्राक्षाः पुरंदराः | मघवन्तश्च ते सर्वे शृङ्गिणो वज्रपाणयः || सर्वैः ऋतुशतेनेष्टं पृथक्शतगुणेन तु त्रैलोक्ये यानि सत्त्वानि गतिमन्त्यबलानि च । अभिभूयावतिष्ठन्ते धर्माद्यैः कारणैरपि तेजला तपसा बुद्ध्या पराक्रमैः | भूतभव्यभवन्नाथा यथा ते प्रभविष्णवः ॥ एतत्सर्वं प्रवक्ष्यामि ब्रुवतो मे निबोधत भूतं भव्यं भविष्यं तत्स्मृतं लोक्त्रयं द्विजैः । भूर्लोकोऽयं स्मृतो भूमिरन्तरिक्षं भुवं स्मृतम् ॥ भव्यं स्मृतं दिनं ह्येतत्तेषां वक्ष्यामि साधनम् ॥२ ॥३ ॥४ ॥५ ॥६ ॥७ ॥ह ।।१० एवं भगिरापुत्र - ये आठ देवगण स्मरण किये जाते हैं | २ | इनमे आदित्यगण, मरुद्गण और रुद्रगण - ये कश्यप के पुत्र है | साध्यगण, वसुगण एवं विश्वेदेवगण – ये तीन गण धर्म के पुत्र कहे गये है। भृगु के भार्गव एवं अंगिरा के अंगिरस गण पुत्र हैं, इस वैवस्वत मन्वन्तर मे ये सुर गण छन्दों से उत्पन्न होने वाले कहे गये हैं। महाप्रलय पर्यन्त ये लोग भी सृष्टि के कार्यों के साथ चलेंगे अर्थात् महाप्रलय पर्यन्त इनको भी सत्ता विद्यमान रहेगो ३-४। यह शुभ वर्तमान देव-पद्धति मरीचिनन्दन कश्यप के वशघरों का जानना चाहिये, इन सबो का स्वामी इन्द्र साम्प्रत नामक महावलशाली है । अतीत, भविष्यत् तथा वर्तमान कालीन जो मन्वन्तरों के इन्द्रगण है, वे सभी लक्षणों में एक समान है । वे सब के सव भूत, भविष्यत् तथा वर्तमान काल के स्वामी है, सहस्र आँखोंवाले तथा पुरन्दर है, मघवान् है, शृद्धी हैं, तथा वस्त्र धारण करनेवाले है | सभी सौ यज्ञो को पूर्ण करनेवाले तथा व्यक्तिगत सैकड़ों गुण-समूहों से उत्पन्न हैं ।५-७॥ तीनों लोकों में जितने भी शक्तिशाली, गतिमान् अथवा निर्बल प्राणी हैं, इन्द्र उन सवो से—धर्मादि कार्यों में भी —चढ़े चढ़े रहते हैं। तेज से, तप से, बुद्धि से, बल, शास्त्रीय ज्ञान तथा पराक्रम से वे सभी प्राणियों में श्रेष्ठ होते हैं । वे जिस प्रकार अत्यन्त प्रभावशाली तथा भूत, भविष्य एवं वर्तमान के स्वामी होते हैं, उन सव का वर्णन मैं कर रहा हूँ, सुनिये १८-९॥ ब्राह्मणो ने भूत, भव्य एवं भविष्य – ये तीन लोक वताये हैं। भूलोक यह पृथ्वी तथा अन्तरिक्ष (आकाशमण्डल ) भुवलोक स्मरण

  • इदमधं नास्ति क. पुस्तके |