पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/१०२२

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एकशततमोऽध्यायः ब्रह्मणा सह देवश्च संप्राप्ते प्रतिसंचरे | तपसोऽन्ते क्रियात्मानो बुद्धावस्था मनीषिणः ॥ अव्यक्ते संप्रलीयन्ते सर्वे ते क्षणदर्शिनः ऋषय ऊचुः कस्मादेष परार्धश्च फश्चैष पर उच्यते । एतद्वेदितुमिच्छामस्तप्लो निगद सत्तम १००१ इत्येतदमृतं शुकं नित्यमक्षयमव्ययम् | देवर्षयो ब्रह्मसत्रं सनातनसुपासते अपुनर्मार्गगादीनां तेषां चैवोर्ध्वरेतसाम् । कर्माभ्यासकृता शुद्धिर्वेदान्तेषूपलक्ष्यत ॥८८ तत्र तेऽभ्यासिनो युक्ताः परां काष्ठामुपासते । हित्वा शरीरं पाप्मानममृतत्वाय ते गताः वीतरागा जितक्रोधा निर्मोहाः सत्यवादिनः । शान्ताः प्रणिहितात्मानो दयावन्तो जितेन्द्रियाः ॥८e निःसङ्गाः शुचयश्चव ब्रह्मसायो (यु) ज्यगाः स्मृताः । अकामयुक्तैर्ये वीरास्तपोभिर्दग्धकिल्विषाः ॥ तेषामभ्रंशिनो लोका अप्रमेयसुखाः स्मृताः 1180 ॥६१ एतद्ब्रह्मपदं दिव्यं परमं व्योम्नि भास्वरम् | यत्र गत्वा न शोचन्ति हामरा ब्रह्मणा सह ॥८५ ॥८६ ॥८७ "" ॥२ ज्ञानी, क्रियाशील ब्रह्म लोक में निवास करने वाले महात्मागण पुनर्जन्म मरणादि विरहित शुभ गति को प्राप्त कर महा प्रलय में अपनी तपस्याओं के पूर्ण हो जाने पर ब्रह्मा ही के साथ अव्यक्त प्रकृति में विलीन हो जाते है |८२-८५। यही नित्य, अक्षय, अव्यय, परम शुद्धि अमृत पद है । इसी आवृत्ति विरहित सनातन परम पद की प्राप्ति के लिए ऊर्ध्वरेता देवता एवं ऋषिगण वेदान्तादि में निर्णीत मङ्गलमय कर्मों के अनुष्ठान में निरत रहकर-शुद्धि प्राप्त करते हैं, और सतत योगाभ्यास में दत्त चित्त रहकर उसकी अन्तिम सीमा तक उपासना ( साधना ) करते है और अन्त में अपने पापमय शरीर को त्याग फर अमृतत्व की प्राप्ति करते है |८६-८८ वीषराग, जित क्रोघं, निर्मोह, सत्यवादी, आत्मा को वश में रखने वाले, जितेन्द्रिय, दयावान्, संगविरहित, पवित्रात्मा, जन ही उस ब्रह्म लोक की प्राप्ति करते सुने जाते हैं। जो वीरात्मा कामना विहीन, योग परायण एवं तपस्या द्वारा समस्त पापों को नष्ट करने वाले है, उन्हीं के ऐसे अविनश्वर लोकों को कल्पना की गई है, जहाँ पर प्राप्त होने वाले कल्याण एवं सुख की कोई इयत्ता नहीं है यह ब्रह्म पद परम दिव्यगुण सम्पन्न एवं परम आकाश जाज्वल्यमान है, वहीं जाकर वे अमर गण ब्रह्मा के साथ - 1 - निवास सुख का अनुभव करते हुए शोक रहित हो जाते हैं।८६-६१। ऋऋषि ने पूछा- समादरणीय सुत जो ! यह परार्द्ध क्या है ? पर किसे कहते है ? यह हम लोग जानना चाहते हैं, कृपया बतलाइये |१२|