पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२७१

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

भाषाटीकासमेता । (२६३) भानोमे॑षप्रवेशोदयभवनपतिः सहः स्वोच्चसंस्थः स्वक्षस्थोवा- पिकेंद्रेशुभगगनचरैर्दृष्टयुक्तोबलाढ्यः ॥ तस्मिन्वषैर्विदध्याज- गति भ खंभूरिसस्यंसुवृष्टिः क्रूरः क्रूरार्दितोवादिशतिनृपभयं कष्टमन्त्रंमहर्घम् ॥ ३ ॥ सूर्य्यमेषप्रवेश लग्नका वा प्रश्नलनका स्वामी शुभग्रह हो तथा उच्च स्वराशिका केंद्र में शुभग्रहोंसे दृष्टयुक्त और बलवान् हो तो इस सालमें संसा- रमें संपूर्ण सौख्य शुभ अन्न बहुत उत्तम वर्षा होवे जो उक्त लग्नेश पापग्रह पापाक्रांत बलरहित हो तो राजभय अन्न थोडा भाव महँगा (अकरा ) होवे ॥ ३ ॥ भानोरजप्रवेशेर्केस्तस्मा भग्रहा तैिः । बलवाद्भःसौम्यैर्वानिरीक्षितैर्यैष्मिकावृद्धिः ॥ ४ ॥ सूर्य्यके मेषप्रवेशमें वा प्रश्नलग्नमें केंद्रों में बलवान् शुभग्रह शुभद्दष्ट हो तो ग्रीष्म ऋतुका अन्न बहुत होवे ॥ ४ ॥ अष्टमराशिगत र्केगुरुशशिनोः कुंभसिंहसंस्थितयोः || सिंहघटस्थितयोवनिष्पत्तिष्मसस्यस्य ॥ ५ ॥ उक्त लग्नंसे सूर्य अष्टम हो तथा बृहस्पति कुंभका चंद्रमा सिंहका वा बृहस्पति सिंहका चंद्रमा कुंभका हो तो ग्रीष्मकी फसल अच्छी होवे ॥ ५ ॥ अर्कोत्सिते द्वितीयेबुधेथवायुगपदेवसंस्थितयोः || व्ययगतयोर्वातद्वन्निष्पत्तिरतीवगुरुदृष्ट्या ॥ ६ ॥ सूर्च्चसे शुक्र वा बुध अथवा दोनहूं दूसरे स्थानमें वा बारहवें अथवा दोनहूं स्थानोंमें हों बृहस्पतिकी दृष्टि हो तो फसल अच्छी होवे ॥ ६ ॥ शुभमध्येलिनिसूर्य्याद्वरुशशिनोः सप्तमेपरासंपत् || अल्पाद्विस्थेसवितरिगुरौद्वितीयेनिष्पत्तिः ॥ ७ ॥ मेषार्क वा प्रश्नलग्नसे सूर्ध्य शुभग्रहों के बीच हो तथा सूयंसे सप्तम बह- स्पति चंद्रमा हों तो फसल बहुत और सूर्य्य पाप शुभ दोनोंके मध्य हो तो अल्प तथा बृहस्पति भी दूसरा हो तो आधी फसल हाथ आवेगीं ॥ ७ ॥