पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२६६

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( २५८ ) ताजिकनीलकण्ठी । लग्नमें सूर्य्य हो तो राजा, अग्नि, श और लाल रंग देखे, चन्द्रमा हो तो श्वेत रंगके पुष्प, व, चंदन और दे ॥ २२ ॥ रक्तंमांसंप्रवालंच सुवर्णधरणीसुते ॥ घेखेगमनंजीवेधनंबधुसमागमम् ॥ २३ ॥ मंगल हो तो रुधिर मांस मूंगा वर्ण, बुध हो तो आकाश पर्वतशृंगादिमें गमन, हस्पतिसे धन तथा बंधुसंमेलन ॥ २३ ॥ जलावगाहनंशुक्रेशनौतुंगावरोहणम् ॥ लग्नलग्नांशपवशात्स्व `वाच्याथवाबुधैः ॥ २४ ॥ शुक्र हो तो जलक्रीडा शनि हो तो ऊंचे स्थानारोहण होवे अथवा लग्न तथा लग्ननवांश पतिसे पंडितोंने स्वम कहना ॥ २४ ॥ सर्वोत्तमबलाद्वापिखेटाहुयाविचिंतयेत् ॥ बलसाम्येफलंमिश्रंदुःस्वप्नोनिर्बलैः खगैः ॥ २५ ॥ अथवा र्वोत्तम बलीग्रहसे बुद्धिसे विचार करना जो बहुतोंका बल मान हो तो फल मिश्रित और निर्बलसे दुःस्वम होवे ॥ २५ ॥ रविर्लग्नेशशिदृष्टेरविशाशसमेतविलग्नाद्वा ॥ स्वप्नंदृष्टंप्रवदेत्प्रष्टर्लग्नांतरात्कालः ॥ २६ ॥ सूर्ण्य लयमें चन्द्रमासे दृष्ट हों वा सूर्य्य चंद्रमा लग्नमें हों तो स्वम देखा है और स्थानों में हो तो देखेगा कहना ॥ २६ ॥ अथाखेटकः । • लग्नेशजामित्रपतीत्थशालेसुस्नेहदृष्टयात्वन योर्द्वयोश्च ॥ आखे- टकः स्यात्सफलोरिदृष्ट्यास्यान्निष्फलो वाल्पफलोतिकष्टात् ॥ २ ॥ - लग्नेश सप्तमेशका इत्थशाल मित्रदृष्टि से हो तो आखेटक ( शिकार ). फूल होगी उनकी शत्रुदृष्टि हो तो निष्फल वा बहुत कष्टसे अल्पफली होवे २७ लग्नेश्वरद्यूनगतेविलग्नेजायेश्वरेस्यान्मृगयाप्रभूता || यामित्रनाथेहिवुकेनभःस्थेचाखेटकः स्वल्पतरोपिनस्यात् ॥ २८॥