पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२३७

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भाषाटीकासमेता । ( २२९ ) गृहभूमि जगहके स्थिर रहने वा चलायमान होनेमें भी ऐसाही विचार अच्छे प्रकारसे करके अपनी बुद्धिसे शुभाशुभ मष्टाको कहना ॥ १८ ॥ भृत्यचतुष्पदलाभप्रश्नेलग्रेशशीतगूषष्टे | षष्ठेशमुथशिलो वा लग्नेषवरोथतल्लाभः ॥ १९ ॥ भृत्य तथा चौपाया के लाभमें लग्नेश एवं चन्द्रमा छठे हों वा षष्ठेशसे मुथशिली हों अथवा षष्ठेश लयमें हो तो उनका लाभ होगा ॥ १९ ॥ भृत्यस्यवाहनस्यचयद्वाप्रश्नेचल लग्नपती || अर्थीदातासप्तमसप्तमपौतद्वलात्प्राप्तिः ॥ २० ॥ भृत्य और सवारी के प्रश्नमें लन और लग्नेश लेनेवाले तथा सप्तम और सप्तमेश देनेवाले, इनका बलाबलसे प्राप्ति अप्राप्ति कहनी जैसे लग्नेशका सप्तमसे सप्तमेशका लग्नसे, वा लग्नेश सप्तमेशका परस्पर मुथशिल संबंध हो तो भृत्य वाहनकी प्राप्ति, इनके ईसराफ वा असंबंध से निर्बलतासे अप्राप्ति होगी ॥ २० ॥ थांतरे कलहः । ņ क्रूरःखचरोल' विवादपृच्छासुजयतिविवादंतम् || सर्वावस्थासुपरंनीचेस्तेजयतिनद्विषतः ॥ २१ ॥ विवादप्रश्नमें क्रूर ग्रह लग्न में बलवान हो तो विवाद में प्रष्टा जीतेगा जो नीच वा अस्तंगत हो तो विवाद में शत्रुसे जीत नहीं सकेगा ॥ २१ ॥ लग्नद्यूनेतुयदापरस्परं रयोर्झकटदृष्टी ॥ विवदेत्तद्वादि गं तच्छुरिकाभ्यांप्रहरतितदैवम् ॥ २२ ॥ लग्न तथा सप्तम में क्रूरग्रह शत्रुदृष्टिदृष्ट होनेमें वादी प्रतिवादी परस्पर विवादमें छूरी आदि चलाय बैठेंगे ॥ २२ ॥ लग्नेद्यूनेचयदिक्रूरःखचरोविवादिनोनतदा || कलहनिवृत्तिःकालेजयतिहिबलवान्गतबलंतु ॥ २३ ॥ लग्न में तथा सप्तममें पापग्रह हों तो लडनेवालोंका झगडा निवृत्त नहीं होवे