पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२२८

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(२२०) ताजिकनीलकण्ठी । लग्नेश वक्रगति और उसके स्थानका स्वामी वा चतुर्थेश शुभयुत दृष्ट हो तो नाव मार्गसे कुशलपूर्वक हटि आवेगी; जो पापग्रहसे युत वा दृष्ट हो तो वस्तु विनाही लौट आवे ॥ १० ॥ विलग्नरंध्राधिपतीस्वगेहेप्रवेक्ष्यतश्चेद्रयवहारलाभः || यदाष्टमेसौम्यखगांबलाढ्यास्तदातरीलीभसुखदास्यात् ॥ ११ ॥ लग्नेश और अष्टमेश अपने २ राशिमें हों वा अपने भावोंको देखें तो नावव्यवहारमैलाभ होवे. जो बलवान् शुभग्रह अष्टम हो तो नाव लाभ और सुख देगी ॥ ११ ॥ कुशलायातिपृच्छायांमृत्युयोगेसमागते ॥ तदानौरेतिशीघेणलाभाद्यंचान्ययोगतः ॥ १२ ॥ , नाव कुशलसे आवेगी, ऐसे प्रश्नमें जो मृत्यु फल देनेवाला योग प्रश्न लग्नमें हो तो नाव शीघ्र अपने स्थान में आवेगी जो कोई आरेष्टदायक योग हो तो लांभ अच्छा होगा, जो और काममें बुरे योगहैं उनमें से कोईभी हो सों यहां शुभदायक है ॥ १२ ॥ लग्नेशचंद्रनाथंवाचंद्र॑वामृत्युपोयदि ॥ तदायानस्यवक्तव्यनि- श्चितंमज्ज नंबुधैः॥ तावुभौसप्तमस्थैौचेजलेवापतितांवदेत् ॥ १३ ॥

लग्नेश वा चंद्रराशीश वा चंद्रमाको अष्टमेश देखे वा युक्त हो विशेषतः

इत्थशाली हो तो नाव द्रव्यसहित डूबजायगी ऐसा निश्चय कहना, जो वे दोनहूं सप्तमस्थान में हों तौभी नावका द्रव्य डूब जायगा नाव मात्र बचेगी कहना ॥ १३ ॥ लग्नचंद्रपतीक्रूरदृष्टयान्योन्यंयदीक्षितौ ॥ • तदापोतजनानांचमिथः कलहमादिशेत् ॥ १४ ॥ लग्नेश और चन्द्रमा परस्पर शत्रुदृष्टि से देखें तो नाववाले मनुष्योंका परस्पर कलह होवे ॥ १४ ॥ इति श्रीमहीधरकृतायां प्रश्नतंत्रभाषाटीकायां चतुर्थभावप्रश्ननिरूपणम् ॥ ४ ॥