पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२२७

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भाषाटीकासमेता । (२१९ ) सप्तम स्थानमें शुभग्रह हो तो कृषी अच्छी होगी पापग्रह हो तो अनादि अच्छा नहीं लगेगा तथा दशमेश दशममें शुभग्रहों से युक्त वा दृष्ट हो तो वृक्ष अन्न आदि अच्छे होंगे ॥ ५ ॥ भूभाटकपृच्छायां प्रष्टा च भाटकं धूने ॥ तस्योत्पत्तिदेशमे तथावसानं चतुर्थं स्यात् ॥ ६ ॥ भूमिसंबंधी महसूल किराया किस्त आदिके प्रश्नमें लग्नसे प्रष्टा सप्तमसे किराया उसकी उत्पत्ति दशमसे और उसका परिणाम वा क्षय चतुर्थ स्थानसे विचारके कहना ॥ ६ ॥ . लग्नस्य लग्नपस्यच शुभयोगेशुभमशोभन॑वामे || द्यूनेक्रोपगते यस्मादपि भाटकस्ततोनर्थः ॥ ७ ॥ लग्न तथा लग्नेश शुभग्रह युक्त दृष्ट हों तो भाडाविषयक समस्त शुभ, पापग्रहयोग दृष्टि हों तो सर्व अशुभ फल जानना, जो सप्तममें भी पापग्रहही हों तो भाडामें किसी प्रकार अनर्थ होगा ॥ ७ ॥ दशमे क्रूरोपगते नोत्पत्तिर्त्रहुतराभवेत्प्रष्टुः || ऋरार्दितेतु तुय्यैस्यादवसाने शुभंनास्य ॥ ८ ॥ दशमस्थान में पापग्रह योग दृष्टि हो तो प्रष्टाको भाडा बहुत न मिले, चतुर्थ । स्थानमें पाप हो तो भाडेका परिणाममें कारखाना डूबजायगा |॥ ८ ॥ · ग्रन्थांतरे नौकाप्रश्नः । नौर्लाभदास्यान्ममनेतिप्रश्ने केंद्रेशुभाश्चेदितरेषुपापाः ॥ बलोज्झिताक्षेमजयार्थदानौ भावीतिवाच्यं विदुषा विमृश्य ॥ ९॥ नाव ( जहाज ) आदिके काम में लाभ होगा या नहीं ऐसे प्रश्नमें केंद्रोंमें बलवान् शुभग्रह अन्यस्थानों में निर्बल पापग्रह हों तो नाव लाभ देगी, विशेष तारतम्यसे विद्वानोंने विचारकरके फल कहना ॥ ९ ॥ लग्नाधिपेवक्रिणिचास्यनाथेव्यावृत्यनौरैतिचः मार्गतः स्यात् ॥ चेत्सौम्यदृष्टः शलेन पापैर्दृष्टस्तदावस्तुविनेति वाच्यम् ॥ १० ॥