पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२१८

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(२१० ) तांजिकनीलकण्ठी | जो लग्नेश पापग्रह हो वा लंग्यमें पाप हो तो कलह रोग धनहानि हो; जो शुभग्रह हो तो बुद्धि निर्मल धनलाभ और अतुल सुख मिले ॥ ५ ॥ इति श्रीमहीधरकृतायांनीलकंठी भाषाटी कायां लग्नभावप्रश्ननिरूपणम् ॥ १ ॥ अथ द्वितीयभावफलम् ॥ घनलाभस्यप्रश्नेलग्नेशेनेंदुनाथधननाथौ || कुरुतोयदीत्थशालंशुभ तिहग्भ्यांभवेल्लाभः ॥ ६ ॥ धनलाभप्रश्नमें लग्नेशसे चन्द्रराशीश तथा धनभावेश इत्यशाल करें शुभ- ग्रहों से युक्त दृष्टभी हो तो धनलाभ होगा ॥ ६ ॥ कर हैर्धनस्थैर्दूरेलाभोऽन्यदप्यशुभम् || क्रूरथशिलेधनेशेप्रष्ट।म्रियतेथवाविलगेशे ॥ ७ ॥ जो पापग्रह धनस्थानमें हों तो लाभ बहुत कालमें हो और कु अशुभ भी होवे धनेश वा लग्नेश पापसे इत्थशाली हो तो प्रष्टा आरिष्ट पावे ॥ ७ ॥ "धनधनपेयथेत्थशालो दगतिर्यत्रभावानाम् || तनुधनसहजादीनांप्रष्टुस्तहारतोलाभः ॥ ८ ॥ धनेश मंदगामी तनु धन सहजेशादिकों में से जिससे इत्यशाली हो उस भावसंबंधी जनके द्वारा धनलाभ होवे ॥ ८ ॥ · अनुष्टु० - प्रश्नचतुर्थाधिपतिस्त॒त्रस्थोवावलोकते ॥ अवश्यंवर्त्ततेतत्रधनंचंद्रेथवावदेत् ॥ ९ ॥ स्थापित वा चौरादि धनकी भांतिमें चतुर्थेश चतुर्थभावमें हो वा उसे देखे अथवा चन्द्रमा चतुर्थ हो तो धन अवश्य तहां होगा यह कहना ॥ ९॥ .. वित्तेशेधनगेबंधौवास्तित धनंबहु || पापेतुर्यगतेद्रव्यंस्थितंतूर्णैनलभ्यते ॥ १० ॥ धनेश धनभाव में चतुर्थ हो तो प्रश्नस्थान में बहुत घन है जो पापग्रह भी चतुर्थं हो तो धन तो है किंतु शीघ्र नहीं मिले ॥ १० ॥ । भौमेसप्ताष्टराशिस्थेधनमन्यत्रनाप्यते || लग्नेतमोरविच्छिद्रेत- दाद्रव्यंनलभ्यते ॥ सताष्टदशपातालेधन दौचन्द्रमागुरुः ॥ ११ ॥ जो मंगल सप्तम वा अष्टम हो तो धन औरस्थानमें है नहीं मिलेगा, जो