पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२१०

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

( २०२ ) ताजिकनीलकण्ठी | ॥ लग्नेशः काय्र्येशविलोकयेल्लग्नपंतुकाय्र्येशः शीतगुदृष्टौ सत्यांपरिपूर्णाकार्य्य संसिद्धिः ॥ १६ ॥ जो लग्नेश लग्नको देखे १ कार्येश कार्यस्थानको देखे २ लग्नेश कार्य्यस्थानको देखे ३ कार्येश लग्नको दखे ४ लग्नेश कार्येशको देखे ५ कार्येश लग्नेशको देखे ६ ये छः प्रकार हैं; इनमें यदि चंद्रमा की दृष्टि हो तो एकही योग पूर्ण कार्घ्य सिद्धि करलेता है ॥ १५ ॥ १६ ॥ || • आर्या ० -कथयंतिपादयोगंपश्यतिसौम्योनलग्नपोलग्नम् लग्नाधिपंचपश्यतिशुभग्रहार्द्धयोगोऽत्र ॥ १७ ॥ जो लग्नेश तो लग्नको न देखे किंच शुभ ग्रह देखे तो चौथाई योग कहाता है तथा केवल लग्नेशको शुभ ग्रह देखे और छहों में से कोईभी योग न हो तो आधा योग होता है फल भी ऐसाही जानना ॥ १७ ॥ , आर्या - एकःशुभग्रहोयदिपश्यतिलग्नाधिपंविलगंवा || पादोनयोगमाहुस्तदावधाःकार्य्यसंसिद्धये ॥ १८ ॥ एक शुभ ग्रह जो लग्न वा लग्नेशको देखे तो उसे बुधजन पान योग कहते हैं यह कार्य्यसिद्धि करता है ॥ १८ ॥ || आ०-लग्नपतौदर्शनेसतिशुभग्रहाद्रौत्रयोथवालग्नम् पश्यंतियदितदानीमाहुर्योगं त्रिभागोनम् ॥ १९ ॥ लग्नेशको दो वा तीन शुभग्रह देखें अथवा लग्नको देखें तो इस योगको त्रिभागोन कहते हैं कार्म्यसिद्धि देता है ॥ १९ ॥ क्रूरावेक्षणवर्ज्यश्चंद्रः सौम्योवालग्नपंचलमंच || पश्यंतः पूर्णत द्योगंकार्य्यस्यसंसिद्धये ॥ २० ॥ पापग्रहदृष्टिरहित चन्द्रमा और शुभ ग्रह लंग्न तथा लग्नेशको देखें तो - पूर्ण योग कार्य्यसिद्धि देनेवाला होताहै ॥ २० ॥ O अनुष्ट - ऋक्रांतःकरतःकरदृष्टश्चयोग्रहः ॥ विरश्मितांप्रपन्नश्चसोनिष्टफलदायकः ॥ २१ ॥ जो कार्यकर्त्ता ग्रह पापाक्रांत वा पापयुक्त पापदृट हो वा रश्मिरहित हो तो अनिष्ट फल कार्य्यनाश करता है ॥ २१ ॥