पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/१८१

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भाषाटीकासमेता । (१७३) तीहै तथा घोडा आदि वाहनलाभ पुत्रसुख कीर्ति नीरोगता गायनादि आनंद और पदलाभ देती है ॥ ३४ ॥ उपजा० - दशाभृगोर्मध्यबलस्यदत्तेवाणिज्यतोर्थागमनंकृषेश्च ॥ • मिष्टा पानांबरभोगलाभंमित्राणिश्चयोषित्सुत सौख्यलाभम् ॥ ३५॥ मध्यबली शुक्रकी दशामें व्यापारसे तथा कृषिकर्मसे धनलाभ और मीठा अन्न सवारी वस्त्रादि भोगलाभ और मित्र पुत्र स्त्रीसे सुख मिले ॥ ३५॥ उपजा० - दशाभृगोरल्पबलस्यदत्ते मतिभ्रमंज्ञानयशोर्थनाशम् ॥ कदन्नभोज्यंव्यसनामयात्तिस्त्रीपक्ष वैरंकलिमप्यरिभ्यः ॥ ३६ ॥ अल्पबली शुक्रकी दशा बुद्धिभ्रम ज्ञान यश और धनका नाश करती है तथा जुंवार बाजरा आदिक अन्न भोजन व्यसनवृद्धि रोगपीडा स्त्रीपक्षसे वैर शत्रुसे कलह होताहै ॥ ३६॥ • ॥ उपजा॰—दशाभृगोर्नष्टबलस्यदत्तेविदेशयानंस्वजनैर्विरोधम् पुत्रार्थ भार्यांविपदो रुजश्चमतिभ्रमोपिव्यसनंमहच्च ॥ ३७ ॥ नष्टबली शुक्रकी दशा विदेशगमन अपने मनुष्योंसे विरोध पुत्र धन स्त्री आदिकी विपत्ति और रोग बुद्धिभ्रम तथा बडा व्यसन देतीहै ॥ ३७ ॥ अनुष्टु० - षडष्टरिष्फेतरगोभृगुर्निधोईसत्फलः ॥ मध्योहीनःशुभोमध्यःशुभोत्यंतशुभावहः ॥ ३८ ॥ दशापति शुक्र ६ । ८ । १२ से अन्य स्थानों में नष्टबलीभी शुभ फल आधा देताही है और हीनबली मध्य फल मध्यबली शुभ फल देता है, उत्तम- बली अत्यंत शुभ फल देताहै६ | ८ | १२ स्थानों में शुमभी अशुभ देता है ॥ ३८॥ उपजा० - दशाशनेः पूर्णबलस्यदत्ते नवी नवें श्मांबरभूमिसौख्यम् ॥ आरामतोयाश्रयनिर्मितिश्चम्ले सिंगान्नृपतेनाप्तिः ॥ ३९ ॥ पूर्णबली शनिकी दशा नये घर वस्त्र भूमिका सुख देती है वा जलस्थान निर्माण और म्लेच्छसे तथा राजासे धनप्राप्ति होती है ॥ ३९ ॥ उपजा ० दशाशने मध्यबलस्यदत्ते खरोष्टपाखंडजतोधनाप्तिम् ॥ वृद्धांगनासंग मदुर्गरक्षाधिकार चिंता विरसान्नभोगः ॥ ४० ॥ मध्यबली शनिकी दशा गंधा ऊंट एवं उढदआदि अन्न और (पाखंडज)