पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/१७३

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भाषाटीकासमेता । (१६५) अंतर्दशा होती है उदाहरण-लनकी दशादिनादि ८३ | ४४ | २८ इसमें सबहीकी अंतर्दशा करनी है प्रथम बुध है इसके दिनादि २९ । २२ । ६ सभी ग्रहों के दशाका योग दिनादि ३६० | ०1० है तो गोमंत्रिका क्रम करके बुधसे लग्न गुनदिया २५०९ | २० | १३ हुआ इसमें ३६० से भाग दिया तो ६ । ५८ | १३ दिनादि लग्नदशामें बुधकी अंतर्दशा हुई ऐसेही और ग्रहों की भी अंतर्दृशा लेनी सबका योग जिसकी अंतर्दशाहै उसके दिनादि पर ठीक मिले तो सत्य जानना, मासप्रवेशमेंभी दशाका यही क्रमहै, जैसे " पात्यांशयोगेन भजेद्रतैष्यमासांतर॑स्याद्वणकोत्थितेन ॥ पात्यां शकाः संगुणितादशाः स्युरुक्तकमान्मासफलेदशानाम् ॥ १ ॥ ” मासमिति - ३० ग्रहं पात्यांशों से गुनाकर पात्यांश योगसे भाग लेना प्रत्येक ग्रह पात्यां- शसे ऐसेही रीतिसे प्रत्येककी दशा होती है. गौरीमतसे प्रथम दशेशके लिये मासप्रवेशदिननक्षत्र में जो ग्रह दशेश आवै कृतिका उत्तरा फाल्गुनी उत्तरा- • पाढसे आ० चं० कु० रा० जी० श० बु० के० शु० ये तीन आवृत्तिसे हैं. यही प्रथम दशाधीश होगा इन सबके दिनादिमान यह है ऐसेही दिन चं मं रा बृ श बु के शु १॥ २॥ १॥॥ ४॥ ७४ ४॥ ४। १॥ ५ प्रवेशमें दिननक्षत्रसे जानना, और जैसे जातककी मुख्यदशा दशहैं ऐसेही - वर्षकीभी पात्यांश १ तासीर २ भावतासीर ३ स्थलभावतासीर ४ काल- होरादशा ५ ह्रद्दादशा ६ नैसर्गिकदशा ७ तनुभावदशा ८ मुद्दादशा ९ बल-

राममतींदशा १० दश दशा हैं. यहां ग्रन्थभूयस्त्वभयसे ग्रंथकर्त्ताने मुख्य

पांत्यांशीही स्थित करीहैं तथापि सर्व साधारणमें जैसे जातककी महादशा ऐसे वर्ष में भी उसी छायासे मुद्दादशा प्रमाण प्रचलित और फलमें अनुभव करी है, इसलिये इस दशाका क्रम लिखताहूं. “ जन्मर्क्षसंख्यासहिता गताब्दा 'हगूनितानंदहतावशेषाः ॥ आ. चं. कु. रा. जी. श. बु. के. शु. पूर्वा ग्रहा दंशास्वामिन इत्थुमब्दे ॥ १ ॥” जन्मनक्षत्रमें गतवर्ष जोडके दो घटायदेना शेष ९ से भाग देकर जो शेष रहैं वह आ. चं. कु. रादि क्रमसे दशेश जानना..