पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/१५३

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• भाषाटीकासमेता | (१४५ ) वही वषश शुक्र यदि अधिकारी बुधसे देखा जाय तो ( लघव्या ) थोडी अवस्थाकी परस्त्री वारखीसे जारता उक्त शुक्र अनधिकारी शनिसे देखा जाय तो वृद्धा परस्त्रीसे जारता होवे - उक्त शुक्र पर अधिकारी अनधिकारी गुरुकी दृष्टि होने से विवाहिता नवीन भार्थ्यांसे संयोग तथा शीघ्र सन्तानोत्पत्ति होती है, इस श्लोकमें 'गुरुदृष्टया' यह पाठ प्रमादसे है, क्योंकि पूर्व पयमें निरुक्त है यहां 'गुरुयोगात्' ऐसा पाठ होना चाहिये, उक्त भी है ताजिकसुधानिधिमें 'गुरुयुतेऽपि च नतनवल्लभा भवति तत्र च सन्तति राशु हि” ॥ २ ॥ अनुष्टु० - जन्मलग्नाधिपेऽस्तस्थेदारसौख्यंबलान्विते || जन्मशुक्रर्क्षमस्तेब्दे "लाभायसितेन्दपे ॥ ३ ॥ जन्मलग्नेश वर्षकालमें सप्तम बलवान् हो तो स्त्रीसुख होता है, जन्मकी शुक्रराशि वर्ष में सप्तम हो और शुक्रही वर्षेश हो तो स्त्रीलाभ होवे ॥ ३॥ अनुष्टु० - जन्मलग्नाधिपेवर्षं लग्नात्स मगेसति || उदितेस बले चैवदारसौख्यंप्र॒जायते ॥ ४ ॥ जन्मलग्नेश वर्षलग्नेश सप्तम हो और उदित तथा बलवान हो तो स्त्रीसौख्य होवे ॥ ४ ॥ O अनुष्टु • -शुक्रोजन्मनियद्राशौवषैलग्नेश्वरोयदि ॥ तद्राशौसप्तमस्थेपिपुंसः परिणयस्तदा ॥ ५ ॥ जन्मका शुक्र जिस राशिमें है उसमें वर्षलग्नेश हो, अथवा वह राशि सप्तममें हो तो पुरुषका इस वर्ष में विवाह होगा, यह योग ताजिकसारमें "शुक्रस्प लग्नपतेर्विवाहः" अर्थात् शुक्रकी राशिका लगेश हो ऐसा लिखा है यह भी प्रमाणही है ॥ ५ ॥ अनुष्टु० – नष्टेंदौशुक्रपदगेमैथुनंस्वल्पमादिशेत् ॥ जन्म शुक्रर्क्षगोभौमः सुखोत्सवकूद्वली ॥ ६ ॥ जन्मकी शुक्रराशिमें वर्ष में क्षीण चन्द्रमा हो तो इस वर्ष में मैथुनसुख थोडा होवे, जो जन्मकी शुक्रराशिमें वर्षका बलवान् मंगल हो तो स्त्रीसुख उत्सवकारीं होवे ॥ ६ ॥ १० .