पृष्ठम्:कालमाधवः (संक्षिप्तटिप्पणिसमेतः).pdf/२४०

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<भe50,2388,ः देउडुचिरुञ्चिद् A = ह्वर्थेषु । भादेवीचेरर्चित ईमें. वेदके छः उंमॅसेसे सर्वोचम अं नेत्रसंज्ञक श्यतेहे हे पक्षी है. लिसकी प्राचीन ऋषियोंने सिद्धांत (गणितग्रंथ ) । संहिता ( मुहूर्त आदि} केरा ( जातकं तनिक आदि हैं ॐ फलादेश. } न’ न. स्वॉमेिं शॐह (फ़या, इसके विना ॐ कोई गुंत भूभातें भी सिद्ध नहीं होताछोटेसेमी चेष्टा की | वैदिक कारें यों न हो अरसके लॅिये मुहूर्त की आवश्यकता है

  1. होती ही हैं और इसी कारणसें सुकृतीविषयके अन्थर्भ =

. अनेक छप चुके हैं पस्नु पह मुहूर्तदीपक छोटल ग्रन्थ

  • श्रीमद्वद्देवमने कोषकाके लिये स्रग्धरा ( शार्दूलु-3

श्रीचिंडित आदैि छन्दमें बहुतही उत्तम बनाओ हैं, इसमें हैं, ॐ * हवइखकीय सभी सुहृतं दर्शाये गये हैं. इभी महादैय है कवीने विस्तृत टीकाओं की है. यह अन्थ छीट हैं परंतु ॐ चक्रे १ अथै सम देता है. अमित ४ अना फुस्तक बिनेक ठिकाना अङ्कयिष्ङ् श्रीकृष्णं।प्त, ‘रुधेिश्वर ' छाना, ५ अर्थ-मुंबई. ४