पृष्ठम्:Rig Veda, Sanskrit, vol8.djvu/५७४

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एतत् रुपएषी[*]- क[[[[[14] - कृषिप्रशस्त - काम्य क्षत्रियं, यां मृत- ाम्. ४. मृतम्] १, ११९,४; गुब्या- ः १,६५,३; चन्द्र,न्द्रा-न्द्रम् ३,३,५, ३१.१५ ८,६५, ११; तत्रिपा- तुर,रा- वरुणे- अवस- नह , निर्हित- परिमिता- पारविष्णु- पुरु॒ऽतर्म- पृट, टी- पोप्य प्या-- एवम् एतत् एष॒ऽवी[६]- बुध्न्यै,न्यो- कद्अर्थ [३]- अपन, जा- कु.बिऽप्रशस्त- भोये, ज्या- काम्य- क्षत्रिय- मधुमममा- यत्र- गृत—न्तम्,४; १,११९,४. चे: १,६३,२, ७७, x २१३०,३,१७३, राज्य, पर- १, २, ५, ३; ३,५, गाः २,६७,६: ५ ६ ५४, ६, ४, चन्द्रा-लम् ३,३,५: ३१,१५ (इचन्द्रम्; ४,२,१३८ दन्द्रम् ६. ७८.९५, १९ (चन्द्रम् तृत्रिप- तुरं ह ध्रुबइम- नव्यं व्या- निहिंत, ता- रमित (ख) शोधा: पारविष्णू- पुरुश्तर्म, मां- पृष्ठ- पोष्य- ७,७; ८: ४०, ३; ६.३, ५.१५ १४; १०,३३, ०५: वेःऽव १,११६,१५- विर्धित, ता- विश्व्य- वि॒िपूचना- चिकित स॒चर॑न्ती इत समूची] १. १४६ ३,३३,३ एवम् बुध्न्य भेषज- भोज्य- RATIYA M मधु॑मत्तम- यजत्र, त्रा- वे: १. १३३; ३..५, ६ ५४,६: ४, ४०, ३, ६४८, qu; १० ३३ २ व १,११६,१५५ वैरिति ः ४,२७,४; fasisial- वि विपुत्रोने- योकित साहू- O x स॒म्तो १,१४६, ३, ३,३३,३. TIRE II A ASA...