पृष्ठम्:Rig Veda, Sanskrit, vol2.djvu/४६७

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1-11 मा द्वितीयोऽध्यायः या पुसमन्द' या माचनः । बुद्धि सुध वे इन्द्रों म महतास बजाय म इमरणाहक प्रस्थ ॥ २ ॥ [][]", "दे॒वान् "मिशन" समि परोसे क बहनन्तरम् ॥ ३ ॥ 'इपीडीची' कर्मणाम एवं पूर्व सबै सुकथा परे कवि म् पर्शियम् बोक्षारी क "यपरिक् 'नो भो मनुषमवृषणो ● प्रयोक हैडिगोषने । तो रो SI मोक्ट्रो विप्रवेषि fewer f मोमेमन्त १० ॥ १ ॥ ब्रम्दुमयोऽबगो भराः | समीची बुद्धि केनस्चित १० १.३२. ३.१६५ 17.६७.१ 2. 2. 199. 4. 19. }, 39, 4. 11.१२. ८. सुधा