पृष्ठम्:Advaita Siddhi with Guru Chandrika vyakhya.djvu/११८५

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218 सं. पु. 1 268 न हिंस्यात् — ? 2 1 37 न धनुमितिकालाविद्यमानः– अद्वैतरत्नम् 282 न ह्यल्पवैगुण्ये संभवति-शास्त्रदीपिका 12-2-23 नातिरात्रे षोडशिनम् - ? 1 481 3 53 1 57 खण्ड 8 2 250 नात्मानं न पशंश्चैव-गौ. का. 1-12 नात्र काचन भिदास्ति - नृ. ड. ता. नानात्वमवलम्ब्यापि–खण्डन 1-111 (17 श्लो) नानिर्वाच्योऽपि तत्क्षयः- शा. द. नानृतं वदेत् - तै. सं. 2-2-5

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110 2 226 1 270 नान्तः प्रशम् - प्र. - 7 1 248 नान्तरिक्षेऽग्निश्चेतव्यः – तै. सं. 5-2-7 2 305 नान्योऽतोऽस्ति श्रोता – बृ. 3-7--23 2 276 नान्यः प्रतिबलो लोके–भारत. 1 498 222 1-4-6 1 316 नामधेये गुणश्रुतेः –ब्र. सू. 2 259 नामरूपे व्याकरोत् – छा. 6-3-3 2 231 1 176 2 39 नासतोऽदृष्टत्वात् — ब्र. सू - 2-2-26 1 469 2 नासदासीत् – तै. ब्रा. 2-8-9 ॠ. सं. 8-7-17 9 नास्सिक्यपरिहारार्थम् - श्लो. 219 पुट 53 नाह खल्वयमेवं सम्प्रत्यात्मानम्-छा. 8-11-2 61 नाहमेवं ब्रवीमीति होवाच-छा. 7-24-2 3 3 1 410 1 41 नाल्पे सुखमस्ति भूमैव सुखम् – छा. 7-23-1 नित्यो नित्यानाम्-कठ 2-2-13 नित्यानुभवग्राह्यं तमः – तत्त्वदी 55 पुट निमित्तोपजननात्प्राक्-शास्त्रदीपिका 6-5-54 1 348 1 334 - नाभाव उपलब्धेः- ब्र. सू. 2-2-28 नाभावोऽभाववैधर्म्यात्-न्यायलीलावती 20 पुट नावान्तरक्रियायोगात्– तन्त्र. 293 पुट नावेदविन्मनुते तं बृहन्तम् - तै. ब्रा. 3-12-9