पृष्ठम्:Advaita Siddhi with Guru Chandrika vyakhya.djvu/११७५

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सं. पु. 2 4 1 295 1 163 1 445 3 208 कथं पुनः कारणत्वमवसयम् – खण्डन 1-38 पुट. कदाचन स्तरीरसि –ऋ. सं. 6-4-19 4-26 पुट. 2 3 - करणव्ववहारस्तु न्या. कु. कविर्मनीषी-ई. उ. 8 87 कर्ता विज्ञानात्मा पुरुषः – प्रश्न. 4-9 82 कर्ता शास्त्रार्थवश्वात्- प्र. सू. 2-3-33 3 2 296 कल्पयत्यात्मनात्मानम्-गौ. का. 2-12 कष्टाय क्रमणे - पा. सू. 3-1-14 कषाये कर्मभिः पक्के – मोक्ष ? 2 213 2 197 2 229 कस्मिन्नु भगवो विज्ञाते - मु. उ. 1-1-3 कस्मिन्बहमुत्क्रान्ते प्रश्न 6-:3 3 77 2 230 2 294 2 208 3 57 2 124 2 293 - का तदस्तु गतिः - खण्डन. 1-309 (39लो ) कामः सङ्कल्पः – बृ. 1-5-3 2 279 91 .1 कामा येऽस्य हृदि श्रिताः – बृ. 4-4-7 कारणसंबन्ध उत्पत्तिः -- तत्त्वकौमुदी. कार्यत्वहेतुस्वोपादान–मणि ई. वा. 1 411 1 34 कार्यात्मना तु नानात्वम् – ब्र. सू. भा. 1-1-4 (भट्ट - भास्कर) का साम्नो गतिरिति-छा. 1-8-4 कश्छन्दसां योगम् – ऋ. सं. 8-6-16 कल्पितश्चेनिवर्तेत – ? 2 233 1 497 किति च - पा. सू. 7-2-118 2 85 किंचिदेव विषयत्वं - (शिरोमणि) - 1 307 किं ते कृष्णन्ति कीकटेषु ऋ. सं. 3-3-21 345 89 कुत एतदागात् -- बृ. 2-1-16 कूटस्थोऽद्वितीयः- ? - कृताकृतविभागेन - न्या. कु. 4-9. कृत्रिमाकृत्रिमयोः- वैया. परि. -