पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९७३

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हंपूरे वायु॑पुराणम् इत्येते भवितारो वै शैशुनाका नृपा दश । शतानि त्रीणि वर्षाणि द्विषष्टयस्यधिकानि तु शैशुनाका भविष्यन्ति राजानः क्षत्रबान्धवाः । एतैः सार्ध भविष्यन्ति तावत्कालं नृपाः परे ऐक्षाकवाश्चतुर्विंशत्पाञ्चालाः पञ्चविंशतिः | कालकास्तु चतुर्विंशच्चतुर्विशत्तु हैहयाः द्वात्रिंशद्वै कलिङ्गास्तु पञ्चविंशत्तथा शका: । ( + कुरवश्चापि पत्रिंशदष्टाविंशतिमैथिलाः शूरसेनास्त्रयोविंशद्वोतिहोत्राश्च विशतिः | तुल्यकालं भविष्यन्ति सर्व एव सहीक्षितः) सहानन्दिसुतश्चापि शूद्रायां कालसंवृतः । उत्पत्स्यते सहापद्मः सर्वक्षत्रान्तरे नृपः ततः प्रभृति राजानो भविष्याः शूद्रयोनयः | एकराट् स महापद्म एकच्छत्रो भविष्यति अष्टाविंशतिवर्षाणि पृथिवीं पालयिष्यति । सर्वक्षत्रहरोद्धृत्य भाविनोऽर्थस्य वै वलात् सहस्रास्तत्सुता ह्यष्टौ ससा द्वादश ते नृपाः । सहापद्मस्य पर्याये भविष्यन्ति नृपाः कमात् उद्धरिष्यति तान्सर्वान्कौटिल्यो वै द्विरष्टभिः | भुक्त्वा महीं वर्षशतं नन्देन्दुः स भविष्यति चन्द्रगुप्तं नृपं राज्ये कौटिल्यः स्थापयिष्यति । चतुविशत्समा राजा चन्द्रगुप्तो भविष्यति ॥३२१ ॥३२२ ॥३२३ ||३२४ ॥३२५ ॥३२६ ॥३२७ ॥३२८ ॥३२६ ॥ ३३० ॥३३१ शिशुनाक वंश में उत्पन्न होगे - ये सब कुल मिलाकर तीन सौ वासठ वर्षों तक राज्य करेंगे । इन शिशुनाकवंशी राजाओं के राजत्वकाल में अन्यान्य क्षत्रिय जाति के राजा लोग भी होगे । जिनमें इक्ष्वाकुवंशीय चौवीस, पंचालवंशीय पच्चीस, कालक चौबीस, हेहय चौबीस, कलिङ्ग देशीय बत्तीस, शक पच्चीस, कुरुदेशीय छत्तीस, मिथिलादेशीय अट्ठाईस, सूरसेन के तेईस, वीतिहोत्र के वीस उल्लेखनीय हैं । सबका शासनकाल एक ही समय में होगा |३२१ ३२५ | समस्त क्षत्रियवंशीय राजाओं के बाद महापद्म से शूद्रयोनि में उत्पन्न कन्या से उत्पन्न महापद्म नामक एक पुत्र होगा । उसी के राजत्वकॉल में प्रायः सभी राजा लोग शूद्र योनि में उत्पन्न होनेवाले होंगे । वह महापद्म अपने समय का एकच्छत्र सम्राट् होगा । वह अट्ठाईस वर्षों तक पृथ्वी का पालन करेगा। भवितव्यता को बलवत्ता से वह महापद्म समस्त क्षत्रिय राजाओं का गर्वहरण करने वाला होगा १३२६-३२८१ उसके एक सहस्र पुत्र होंगे, जिनमें वारह राजा होगे, उन सब का राजत्वकाल केवल आठ वर्षों का होगा । महापद्म के बाद वे सब क्रम क्रम से शासनाधिरूढ़ होंगे। उन सब को कौटिल्य निर्मूल कर देंगे । महापद्मवंश का अन्तिम राजा सौ वर्षो तक पृथ्वी का शासन करेगा |२२६-३३०१ कोटिल्य उसे अपदस्थ कर चन्द्रगुप्त को सिंहासन पर प्रतिष्ठित करेंगे । वह चन्द्रगुप्त चौबीस वर्षों के लिये राजा होगा। उसके बाद भद्रसार पच्चीस वर्ष तक राजा + धनुश्चिह्नान्तर्गतग्रन्थो ग. पुस्तके नास्ति ।