पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९७१

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घायुपुराणम् ॥३०३ सेनाजित्सांप्रतं चापि एता व भोक्ष्यते समाः । श्रुतंजयस्तु वर्षाणि चत्वारिंशद्भविष्यति ॥३०० महाबलो महाबाहुर्महाबुद्धिपराक्रमः | पञ्चत्रिंशत्तु वर्षाणि महीं पालयिता नृपः ॥३०१ अष्टपञ्चाशतं चाव्दान्राज्ये स्थास्यति वै शुचिः | अष्टाविंशत्समाः पूर्णाः क्षेभो राजा भविष्यति ॥ भुवतस्तु चतुःषष्टी राज्यं प्राप्स्यति वीर्यवान् | पञ्चवर्षाणि पूर्णानि धर्मनेत्रो भविष्यति भोक्ष्यते नृपतिश्चैव अष्टपञ्चाशतं समाः | अष्टचिंत्समा राज्यं सुव्रतस्य भविष्यति [* चत्वारिंशद्दशाष्टौ च दृढसेनो भविष्यति । त्रर्यास्त्रशत्तु वर्षाणि सुमतिः प्राप्स्यते ततः द्वाविंशतिसमा राज्यं सुचलो भोक्ष्यते ततः ] । चत्वारिंशत्समा राजा सुनेत्रो भोक्ष्यते ततः सत्यजित्पृथिवी राज्यं त्र्यशीति भोक्ष्यते समाः । प्राप्येमां वीरजिच्चापि पचत्रंशद्भविष्यति ॥३०७ अरिजयस्तु वर्षाणि पञ्चाशत्प्राप्स्यते महीम् । द्वात्रिंशच्च नृपा होते भवितारो बृहद्रयात् पूर्णं वर्षसहस्रं वै तेषां राज्यं भविष्यति । बृहद्रथेष्वतीतेषु वीतहोत्रेषु वर्तिषु ॥३०६ ॥३०८ ॥३० मुनिक: स्वामिनं हत्वा पुत्रं समभिषेक्ष्यति । मिषतां क्षत्रियाणां हि प्रद्योतो मुनिको बलात् ॥३१० ॥३४ ॥३०५ किया । इस समय उस वंश का सेनजित् नामक राजा राज्य कर रहा है, उसका पुत्र श्रुतञ्जय चालोस वर्षों तक राज्य करेगा। तदनन्तर महान् वलशाली परम बुद्धिमान् पराक्रमशील महाबल नामक राजा होगा जो तैंतीस वर्षों तक पृथ्वी पर शासन करेगा |२९९-३०१। उसके उपरान्त शुचि नामक एक राजा अट्ठावन वर्षों तक राज्य पद पर प्रतिष्ठित होगा। फिर क्षेम नामक राजा अट्ठाईस वर्षों तक राजा होगा | तदनन्तर बलशाली भुवत नामक राजा चौंसठ वर्षों के लिए राजा होगा । फिर राजा धर्मक्षेत्र पाँच वर्षों के लिए होगा। तदुपरान्त भूपति अट्ठावन वर्ष के लिए पृथ्वी का उपभोग करेगा । फिर राजा सुव्रत का अड़तीस वर्ष के लिये राज्य होगा |३०२-३०४ तदनन्तर राजा दृढ़सेन अट्ठावन वर्षों तक राजा होगा । उसके बाद सुमति तैतीस वर्ष के लिये राज्य पद प्राप्त करेगा। फिर सुचल नामक राजा वाईस वर्षों तक पृथ्वी का उपभोग करेगा। उसके उपरान्त राजा सुनेत्र चालीस वर्षों तक राज्य करेगा । तदनन्तर सत्यजित् तिरासी वर्षों तक पृथ्वी पर राज्य करेगा । फिर राजा वीरजित इस पृथ्वी पर आकर पंतीस वर्षों तक राज्य करेगा |३०५-३०७ तदुपरान्त राजा अरिञ्जय पचास वर्षों तक राज्य करेगा । वृहद्रथ के उपरान्त ये वाईस राजा लोग पृथ्वी पर राज्य करेंगे । उनका शासनकाल पूरे एक सहस्र वर्ष का होगा । वृहद्रथ वंशीय राजाओं के राज्यकाल के उपरान्त वीतिहोत्र वंशीय राजाओं का राज्य जिस समय रहेगा, उस समय समस्त क्षत्रिय जाति के देखते देखते मुनिक नामक एक राज्य कर्मचारी प्रद्योत नामक अपने स्वामी का अपने पराक्रम से संहार कर पुत्र का राज्याभिषेक करेगा। वह नवीन राजा एतच्चिह्नान्तर्गतगन्थो न विद्यते खग पुस्तकयोः |